ईरान-इजरायल जंग के चलते भारत में नहीं होगी पेट्रोल-डीजल की समस्‍या, केंद्र सरकार ने अपनाई खास रणनीति

Aarti Kushwaha
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

Iran israel war: ईरान-इजरायल जंग में अब अमेरिका की एंट्री हो चुकी है. उसने रविवार की सुबह ही ईरान के तीन परमाणु ठिकानों पर बम बरसाए, जिसके बाद से ईरान भड़का हुआ है. ऐसे में अब कयास लगाए जा रहे है कि इस घटनाक्रम के बाद पश्चिम एशिया में तनाव बढ़ सकता है, जिसका सीधा प्रभाव तेल की कीमतों पर पड़ेगा. ऐसे में हालांतों को पहले ही भांपते हुए भारत ने रूस और अमेरिका से कच्‍चे तेल का आयात बढ़ा दिया है.

भारत ने अपनी रणनीति‍ के तहत जून महीने में रूस से इतना तेल खरीदा है, जो पश्चिम एशिया और खाड़ी देशों से खरीदे गए कुल कच्चे तेल से भी ज्यादा है. भारत ने रूस से 20-22 लाख बैरल प्रति दिन के हिसाब से कच्चे तेल की खरीद की है. वहीं, इससे पहले मई में तकरीबन 11 लाख बैरल प्रति दिन के हिसाब से कच्चा तेल खरीदा था. लेकिन अब इसमें भारी  बढ़ोत्‍तरी हुई है.

रूस से तेल खरीद में भारी उछाल

वैश्विक व्यापार विश्लेषक फर्म कैपलर के आंकड़ों के मुताबिक भारत अपने कुल तेल आयात का 40-44 प्रतिशत तेल रूस से मंगाता है.  इतना ही नहीं, भारत ने रूस के अलावा, इराक, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और कुवैत से भी जून में कुल करीब 20 लाख बैरल प्रति दिन तेल की खरीद की है.

पश्चिम एशिया तनाव के चलते बढ़ सकते हैं तेल के दाम 

दरअसल, पश्चिम एशिया में बढ़े तनाव के चलते भारत ने अपनी आयात रणनीति में बदलाव किया है, क्‍योंकि तनाव बढ़ने से तेल के दाम बढ़ सकते हैं. क्‍योंकि ईरान ने धमकीदी है कि की यदि अमेरिका इस युद्ध में शामिल हुआ तो वे होर्मुज जलडमरूमध्य में व्यापारिक जहाजों पर हमले करेंगे.

भारत ने खाड़ी देशों पर घटाया अपनी तेल की निर्भरता

बता दें कि भारत का करीब 40 प्रतिशत तेल अभी भी होर्मुज जलडमरूमध्य से होकर भारत पहुंचता है. वहीं, ईरान के समर्थन में हूती विद्रोही भी लाल सागर में व्यापारिक जहाजों को निशाना बना सकते हैं. जिससे खाड़ी के देशों से तेल आयात को काफी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है. और यही वजह है कि भारत ने खाड़ी देशों पर अपनी तेल निर्भरता को घटाया है.

अमेरिका से भी आयात बढ़ाया

आकड़ों के मुताबिक, भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा कच्चे तेल का आयातक है और पूर्व में भारत अपने तेल आयात का अधिकतर हिस्सा खाड़ी के देशों से आयात करता था, लेकिन यूक्रेन के साथ जंग के दौरान रूस ने भारत को तेल खरीद पर भारी रियायत दी थी, जिसके बाद भारत ने रूस से कच्चे तेल का आयात बढ़ा दिया. अब भारत अपने तेल आयात के लिए खाड़ी देशों पर ही निर्भर नहीं है, बल्कि अब हम रूस के साथ ही अमेरिका, लैटिन अमेरिकी देशों से भी कच्चे तेल की खरीद कर रहे हैं.

भारत को महंगा पड़ता है अमेरिका से तेल का आयात

हालांकि अमेरिका से भारत को तेल का आयात महंगा पड़ता है. रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने जून में अमेरिका से हर हिन 4.39 लाख बैरल कच्चे तेल की खरीद की, जबकि पूर्व में यह आंकड़ा 2.80 लाख बैरल प्रति दिन था. भारत करीब 51 लाख बैरल कच्चे तेल की खरीद करता है, जिससे भारत की रिफाइनरियों में पेट्रोल और डीजल अलग किया जाता है.

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