John Bolton : भारत पर लगाए गए टैरिफ को लेकर अमेरिका के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की तीखी आलोचना की है. उनका कहना है कि भारत पर लगाए गए भारी टैरिफ द्विपक्षीय संबंधों में एक बड़ी भूल हैं. वर्तमान समय में भारत पर अमेरिका ने पूरे 50 फीसदी टैरिफ लगाया है, जिसमें से 7 अगस्त से 25 फीसदी टैरिफ लागू हो चुका है, दूसरा जो कि रूस से तेल खरीदने के कारण लगाया गया है वह 25 फीसदी 27 अगस्त से लागू होगा. इस मामले को लेकर बोल्टन का कहना है कि टैरिफ की वजह से दोनों देशों के बीच भरोसे को झटका लगा है.
मजाकिया लहजे में बोल्टन ने कहा
प्राप्त जानकारी के अनुसार अपने जारी बयान में बोल्टन ने पाकिस्तान का भी ज़िक्र किया. इस दौरान उन्होंने मजाकिया लहजे में कहा कि पीएम मोदी ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार के लिए दो बार नामांकित करने की पेशकश कर सकते हैं. जानकारी देते हुए उन्होंने ये भी बताया कि औपचारिक रूप से जून में पाकिस्तान सरकार ने 2026 के नोबेल शांति पुरस्कार के लिए ट्रंप के नाम की सिफारिश की थी. इस दौरान पाकिस्तान ने दावा करते हुए कहा कि भारत-पाकिस्तान संघर्ष में डोनाल्ड ट्रंप की निर्णायक कूटनीतिक हस्तक्षेप की अहम भूमिका रही. लेकिन भारत ने इसे सरासर खारिज कर दिया.
ट्रंप के फैसले पर बोल्टन ने उठाए सवाल
जानकारी के मुताबिक, ट्रंप ने टैरिफ को लेकर अपना बचाव करते हुए कहा कि भारत रूस से बड़ी मात्रा में तेल खरीद रहा है और उसे अंतरराष्ट्रीय बाजार में मुनाफे पर बेच रहा है. ऐसे में इस मामले को लेकर उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा कि भारत को इस बात की परवाह नहीं करता कि यह पैसा रूस-यूक्रेन युद्ध में रूस को मजबूत कर रहा है. ट्रंप के इस फैसले पर बोल्टन ने कहा कि चीन भी रूसी तेल खरीद रहा है, लेकिन उस पर इस तरह के टैरिफ या द्वितीयक प्रतिबंध नहीं लगाए गए.
भारत-अमेरिका के बीच बढ़ रहा विवाद
प्राप्त जानकारी के अनुसार अलास्का में पुतिन के साथ होने वाली बैठक की कवरेज को लेकर ट्रंप ने मीडिया पर हमला किया और तंज कसते हुए कहा कि अगर उन्हें रूस से मास्को और लेनिनग्राद भी मिल जाएं तो भी मीडिया उनकी आलोचना करेगा. इसके साथ ही उन्होंने जॉन बोल्टन को मूर्ख बताते हुए उनके बयानों को खारिज किया. ऐेसे में विशेषज्ञों का कहना है कि टैरिफ को लेकर भारत और अमेरिका के बीच विवाद लंबा खिंचता ही जा रहा है और इसका असर रक्षा सहयोग, तकनीकी साझेदारी और इंडो-पैसिफिक रणनीति पर भी पड़ सकता है.
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