John Bolton: भारत-अमेरिका के टैरिफ को लेकर चल रहे तनावों के बीच यूएस के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन ने एक चौंकाने वाला दावा किया है. बोल्टन ने अपने एक इंटरव्यू में कहा कि एक समय व्हाइट हाउस के भीतर भारत और अमेरिका के संबंधों को तनावपूर्ण मोड़ देने की कोशिश की गई थी. साथ ही उन्होंने इस बात का भी खुलासा किया कि ट्रंप प्रशासन में व्यापार सलाहकार रहे पीटर नवारो ने जानबूझकर तत्कालीन ट्रंप और पीएम मोदी के बीच विवाद भड़काने की कोशिश की थी.
बोल्टन ने बताया कि एक अहम बैठक के दौरान, जहां अमेरिकी राष्ट्रपति और भारतीय प्रधानमंत्री के बीच रणनीतिक सहयोग, चीन से निपटने की रणनीति और वैश्विक सुरक्षा जैसे बड़े मुद्दों पर चर्चा होनी थी, वहां पीटर नवारो ने बार-बार भारत की व्यापार नीतियों को लेकर शिकायतें शुरू कर दीं.
नवारों के बयान पर बोल्टन ने ली चुटकी
ऐसे में बोल्टन ने चुटकी लेते हुए कहा कि “अगर आप पीटर को किसी कमरे में अकेले छोड़ दें और एक घंटे बाद लौटें, तो पाएंगे कि वो खुद से ही बहस कर रहा है.” पीटर नवारो पहले भी भारत को लेकर विवादित टिप्पणियां कर चुके हैं. उन्होंने भारत को “टैरिफ महाराजा” कहकर तंज कसा था. रूस से तेल खरीद को “ब्लडी मनी” (खूनी पैसा) करार दिया था. यहां तक कि उन्होंने ये भी कहा था कि यदि भारत ने अमेरिका की शर्तें नहीं मानीं, तो “नतीजे अच्छे नहीं होंगे.”
बयानों को गंभीरता से लेने की जरूरत नहीं: बोल्टन
बोल्टन का मानना है कि नवारों के इन बयानों से भारत और अमेरिका के बीच के कूटनीतिक रिश्तों में खटास आना स्वाभाविक था, लेकिन इन बयानों को गंभीरता से लेने की जरूरत नहीं है. उनका मानना है कि पीटर नवारो जैसी व्यक्तियों की उग्र और एकतरफा टिप्पणियां व्यक्तिगत एजेंडे का हिस्सा हैं और इन्हें नीतिगत रुख नहीं माना जाना चाहिए.
नवारो को करें नजरअंदाज: बोल्टन
बोल्टन ने भारत को सलाह देते हुए कहा कि “जब तक भारत और अमेरिका के असली वार्ताकार आपस में बातचीत नहीं करते, तब तक इस तरह की बयानबाजी को नजरअंदाज करना ही बेहतर होगा.” साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि दोनों देशों में सद्भावना और आपसी समझ है, और यदि सही मंच पर ठोस बातचीत होती है, तो ट्रेड डील जैसे जटिल मुद्दों को भी हल किया जा सकता है.
इसे भी पढें:- भारत को अपने पक्ष में लाना और चीन से दूर करना हमारी प्राथमिकता: सर्जियो गोर