Madagascar Gen-Z Protest: नेपाल के बाद अब मेडागास्कर में Gen-Z प्रदर्शनकारी सड़कों पर दिखाई दे रहे है. उन्होंने बिजली-पानी के मुद्दे को लेकर देश की सरकार को हिला कर रख दिया है. यूएन के मुताबिक, इस प्रदर्शन में अब तक 22 लोग मारे गए, जबकि 100 घायल हुए. इस प्रदर्शन के बाद अब देश में तख्तापलट हो गया है. विरोध प्रदर्शन के बाद मेडागास्कर के राष्ट्रपति एंड्री राजोइलिना ने सरकार को भंग कर दिया है.
बता दें कि लगातार बिजली और पानी की कटौती को लेकर गुरूवार को देश में प्रदर्शन शुरू हुआ , जिसके चलते सरकार को राजधानी अंतानानारिवो और बाकी शहरों में रात का कर्फ्यू लगाना पड़ा. देखते ही देखते यह प्रदर्शन इतना अधिक बढ़ गया कि अंत में आकर सरकार को युवाओं की मांगों को स्वीकार रहना ही पड़ा.
सड़कों पर उतरे हजारों प्रदर्शनकारी
पिछले पांच दिनों से राजधानी अंतानानारिवो और बाकी शहरों की सड़कों पर उतरें हजारों प्रदर्शनकारियों सड़क पर टायर जलाए, अंतानानारिवो की नई केबल कार सार्वजनिक परिवहन प्रणाली के कई स्टेशन जला दिए, साथही कुछ नेताओं के घर पर भी हमले की बात कही जा रही है. हालांकि सरकार ने गुरुवार से राजधानी अंतानानारिवो और शुक्रवार से अन्य प्रमुख शहरों में रात का कर्फ्यू लगा रखा है.
यूएन एजेंसी ने सुरक्षा बलों को ठहराया जिम्मेदार
ऐसे में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय ने सोमवार को कहा कि प्रदर्शनों के दौरान हुई झड़पों में 22 लोग मारे गए, जबकि 100 से अधिक लोग घायल हुए है. यूएन एजेंसी ने इसके लिए सुरक्षा बलों की हिंसक प्रतिक्रिया को दोषी ठहराया. कार्यालय का कहना है कि गुरुवार को प्रदर्शन शांतिपूर्ण तरीके से शुरू हुए थे, लेकिन सुरक्षाबलों ने गैर-जरूरी बल का इस्तेमाल किया, आंसू गैस छोड़ी, प्रदर्शनकारियों को पीटने के साथ ही गिरफ्तार कर लिया.
वहीं, मेडागास्कर की विदेश मंत्री रसता रफारवाविताफिका ने यूएन की मौतों की संख्या को खारिज करते हुए कहा है कि सरकार सख्ती से इनकार करती है कि 22 लोगों की मौत हुई. हालांकि, मेडागास्कर अधिकारियों ने घायलों और हताहतों को लेकर अब तक अपना कोई आंकड़ा जारी नहीं किया हैं.
क्यों हुआ प्रदर्शन?
दरअसल, मेडागास्कर अफ्रीका के पूर्वी तट से दूर 3.1 करोड़ की आबादी वाला एक बड़ा द्वीप है. जहां वर्षो से चली आ रही आर्थिक तंगी को लेकर लोगों का गुस्सा फुटा है. बता दें कि विश्व बैंक ने हाल के वर्षो में माडागास्कर के शहरी इलाकों में गरीबी स्तर में तेज बढ़ोतरी दर्ज की है. विश्व बैंक के मूताबिक, साल 2022 में इसकी 3 करोड़ आबादी में से लगभग 75 प्रतिशत लोग गरीबी रेखा से नीचे जीवन बिता रहे हैं और इसी के चलते अब बिजली-पानी की कटौती पर लोगों का गुस्सा फुट पड़ा है और युवाओं ने तख्तापलट कर दिया.
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