भारत के पड़ोसी देश का खजाना लुट रहे चीन की वजह से म्‍यामार के पर्यावरण पर मडराया खतरा, थाईलैंड तक पहुंचा संकट   

Aarti Kushwaha
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

Myanmar Rare Earth Mining: आधुनिक जीवन की जरूरत बन चुके मोबाइल फोन, इलेक्ट्रिक कार जैसी तकनीकों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली दुर्लभ धातुएं इस समय पूरी दुनिया के लिए रणनीतिक संसाधन बन चुकी हैं. हालांकि इन धातुओं का खनन बेहद महंगा, कठिन और पर्यावरण के लिए विनाशकारी साबित हो रहा है. वहीं, इन धातुओं परिष्करण (refining) पर चीन का एकाधिकार इसे वैश्विक राजनीति और पर्यावरणीय चिंता का विषय भी बना देता है.

दरअसल, बीते कुछ वर्षो से दक्षिण-पूर्व एशिया का संघर्षग्रस्त देश म्यांमार इन दुर्लभ धातुओं के प्रमुख स्त्रोत के रूप में उभरा है. वहीं, चीन की दक्षिण-पश्चिमी सीमा से सटे इस देश में दशकों से जारी गृहयुद्ध और सैन्य तानाशाही ने श्रम और पर्यावरण संबंधी कानूनों को लगभग समाप्त कर दिया है और इसी का फायदा उठाकर चीनी कंपनियां म्यांमार में अरबों डॉलर मूल्य की दुर्लभ धातुएं निकाल रही हैं और उन्हें चीन भेज रही हैं.

दुर्लभ धातुओं का सबसे बड़ा भंडार ये राज्‍य

बता दें कि सगाईंग, काचिन और शान राज्य, जो म्यांमार के चीन से सटे उत्तरी हिस्सों में आते हैं, दुर्लभ धातुओं के सबसे बड़े भंडार माने जाते हैं. ये ऐसे क्षेत्र है जहां न कानून का डर है, न पर्यावरण की परवाह और न ही मानवाधिकारों का संरक्षण, जिसका चीन भरपूर फायदा उठाता है.  दरअसल, चीन की सरकारी कंपनियां और उनके माध्यम से जुड़े अवैध नेटवर्क विद्रोही गुटों से सीधे संपर्क में रहते हैं, जिसके बदले में ये गुट खनिज उत्खनन और तस्करी की इजाजत देते हैं. इस तरह चीन बिना किसी रोक-टोक के कच्चा माल सस्ते दामों पर प्राप्‍त कर रहा है.

चीन आधुनिक रसायन भेजता है म्यांमार

इन दुर्लभ धातुओं के खनन के लिए अत्याधुनिक रसायन और तकनीक की जरूरत होती है.ऐसे में चीन उन्‍हें लीचिंग टेक्नोलॉजी (तेजाब के जरिए खनिज निकालना) और रसायन भेजता है. जिसके इस्‍तेमान से स्थानीय समूह कच्चा खनिज निकालते हैं, और उसे सीधे ट्रकों के जरिए चीन भेज दिया जाता है. इसके बाद चीन अपने देश में इन धातुओं को शुद्ध कर वैश्विक बाजार में महंगे दामों पर बेचता है.

जहरीले हो रहे जमीन और पानी दोनों

रिपोर्ट्स के मुताबिक, म्यांमार के उत्तरी राज्यों काचिन और शान (जहां से चीन की सीमा लगती है) दुर्लभ धातुओं, खासकर टरबियम और डिस्प्रोसियम जैसे धातुओं का केंद्र बन चुके हैं. वहीं, खनन के लिए पूरे पहाड़ों को उखाड़ना और उनमें तेजाब डालकर खनिज निकालना पड़ता है, जिससे जमीन और पानी दोनों जहरीले हो रहे हैं. काचिन राज्य में हजारों एकड़ बंजर हो चुकी भूमि और जहरीली मिट्टी इसका प्रमाण है.

करोड़ों लोगों के स्‍वास्‍थ्‍य पर मंडरा रहा खतरा

बता दें कि खनन के दौरान निकलने वाला जहरीला अपशिष्ट अब म्यांमार से होते हुए थाईलैंड तक फैल चुका है. खास तौर पर मेकॉन्ग नदी और उसकी सहायक नदियों में जहर घुल रहा है, जिससे इस क्षेत्र की जैवविविधता और करोड़ों लोगों के स्वास्थ्य पर खतरा मंडरा रहा है. हाल ही में थाईलैंड के गांवों में नदी के संपर्क में आने के बाद लोगों में त्वचा रोग, मछलियों में अस्वाभाविक धब्बे और जल में भारी धातुओं की खतरनाक मात्रा पाई गई है.

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