लिपुलेख, लिंपियाधुरा और कालापानी को नेपाल ने फिर बताया अपना हिस्सा, नए नोट पर छापा नया नक्शा

Abhinav Tripathi
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Sub Editor, The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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Nepal New Currency Note: नेपाल एक बार फिर से भारत के साथ विवाद के मूड में नजर आ रहा है. दरअसल, विगत शुक्रवार को नेपाल ने कुछ ऐसा ऐलान किया, जिससे भारत के साथ विवाद होने की पूरी संभावना है.

दरअसल, नेपाल ने 100 रुपये के नई करेंसी छापने का ऐलान किया है. इस नई नोट में नेपाल के नक्शे में विवादित स्थल लिपुलेख, लिंपियाधुरा और कालापानी को दर्शाने की तैयारी है. हालांकि, भारत ने पहले ही इन क्षेत्रों को कृत्रिम रूप से विस्तारित करार दे दिया है.

इसको लेकर सरकार की प्रवक्ता रेखा शर्मा ने कैबिनेट फैसले के बारे में जानकारी देते हुए बताया, ‘प्रधानमंत्री पुष्पकमल दहल ‘प्रचंड’ की अध्यक्षता में मंत्रिपरिषद की बैठक में 100 रुपये के नोट में नेपाल का नया नक्शा छापने का निर्णय लिया गया, जिसमें लिपुलेख, लिंपियाधुरा और कालापानी को दर्शाया जाएगा.”

नेपाल बनाता है इसको मुद्दा

जानकारी दें कि नेपाल अक्सर इन तीनों क्षेत्रों को अपना बताने की कोशिश करता है. इसके पहले ही नेपाल की पूर्व राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी ने भी कहा था कि कालापानी, लिपुलेख और लिंपियाधुरा नेपाल का ही अभिन्न हिस्सा है. उन्होंने अपने बयान में यह भी कहा था कि इसको लेकर भारत के साथ जो भी विवाद है, उसे कूटनीतिक तरीके से सुलझाने का काम किया जाएगा.

वहीं, ये तीनों क्षेत्र नेपाल में चुनावी मुद्दे भी रहे हैं. नेपाल में हुए आम चुनाव के दौरान पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने वादा किया था कि अगर सत्ता में उनकी सरकार आती है तो भारत के साथ वो बातचीत करेंगे और कालापानी, लिम्पियाधुरा और लिपुलेख क्षेत्रों को वापस लेंगे.

भारत ने पहले ही दे दी है अपनी प्रतिक्रिया

नेपाल ने पहले ही अपने नक्शे पर कालापानी, लिपुलेख और लिंपियाधुरा अपना हिस्सा बताया था. इसको लेकर भारत ने कड़ी आपत्ति जताई थी. जानकारी दें कि ये तीनों ही स्थान भारत-नेपाल सीमा पर पारंपरिक रूप से उत्तराखंड में स्थित हैं. आपको बता दें कि लगभग 3 साल पहले नेपाली संसद से इन तीनों क्षेत्रों को नेपाल ने अपना हिस्सा बताया था. इसके बाद भारत ने नेपाल को लेकर तीव्र प्रतिक्रिया दी थी. इसको लेकर भारतीय अधिकारियों ने कहा कि स्थानीय भूमि रिकॉर्ड भी यही बताते हैं कि कालापानी और लिपुलेख की भूमि भारत-नेपाल सीमा पर भारत की ओर स्थित 2 गांवों के निवासियों की है.

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