भारत में कुछ सालों में दोगुनी हो जाएगी बुजुर्गों की आबादी, सामने आई बड़ी रिपोर्ट

Abhinav Tripathi
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Sub Editor, The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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India old age population: भारत दुनिया में सबसे नौजवान देश के तौर पर जाना जाता है. ऐसा इसलिए क्योंकि यहां पर युवाओं की संख्या काफी ज्यादा है. हालांकि, अब भारत में बुजुर्गों की आबादी तेजी से बढ़ रही है. हाल के दिनों में आई एक रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है. रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारत में अगले कुछ वर्षों में बुजुर्गों की आबादी 2 गुना तक बढ़ जाएगी.

बता दें कि ‘यूएनएफपीए- इंडिया’ की प्रमुख एंड्रिया वोजनार ने बताया कि इंडिया में बुजुर्ग आबादी 2050 तक दोगुनी हो जाने की संभावना है और देश में खासकर उन बुजुर्ग महिलाओं के लिए स्वास्थ्य सेवा, आवास और पेंशन में अधिक निवेश किए जाने की जरूरत है. वहीं, जो बुजुर्ग अकेले रह जाएंगे उनको गरीबी का सामना करना पड़ सकता है. ऐसे लोगों के लिए काम करने की दिशा में आगे बढ़ने की जरुरत है.

विश्व जनसंख्या दिवस के कुछ दिनों बाद यूएनएफपीए-इंडिया’ की ‘रेजिडेंट’ प्रतिनिधि वोजनार ने समाचार एजेंसी एएनआई को एक साक्षात्कार दिया था. इस साक्षात्कार के दौरान उन्होंने कहा था कि 60 वर्ष या उससे अधिक उम्र के व्यक्तियों की संख्या 2050 तक दोगुनी होकर 34 करोड़ 60 लाख हो जाने का अनुमान है, इसलिए स्वास्थ्य सेवा, आवास और पेंशन योजनाओं में निवेश बढ़ाने की सख्त जरूरत है.

भारत दुनिया का सबसे युवा देश

गौरतलब है कि ‘यूएनएफपीए-इंडिया’ प्रमुख का कहना है कि इंडिया में युवाओं की आबादी काफी है और 10 से 19 वर्ष की आयु के 25 करोड़ 20 लाख लोग हैं. इसी के साथ उन्होंने यह भी कहा कि लैंगिक समानता को बढ़ावा देने के साथ-साथ स्वास्थ्य, शिक्षा, नौकरी के लिए प्रशिक्षण और रोजगार सृजन में निवेश करने से इस जनसांख्यिकीय क्षमता को भुनाया जा सकता है और देश को सतत प्रगति की ओर अग्रसर किया जा सकता है. ‘यूएनएफपीए-इंडिया’ प्रमुख का कहना है कि भारत में 2050 तक 50 प्रतिशत शहरी आबादी होने का अनुमान है, इसलिए झुग्गी बस्तियों की वृद्धि, वायु प्रदूषण और पर्यावरणीय समस्याओं से निपटने के लिए स्मार्ट शहरों, मजबूत बुनियादी ढांचे और किफायती आवास का निर्माण महत्वपूर्ण है

‘यूएनएफपीए-इंडिया’ के प्रमुख ने पीटीआई भाषा को दिए इंटरव्यू में कहा कि शहरी योजनाओं में महिलाओं की सुरक्षा संबंधी जरूरतों, स्वास्थ्य देखभाल और शिक्षा एवं नौकरियों तक पहुंच को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए, ताकि लैंगिक समानता को बढ़ावा दिया जा सके और जीवन की समग्र गुणवत्ता में सुधार हो सके.

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