पाकिस्तान को मालामाल कर सकती है रेको डिक गोल्ड परियोजना, निवेश करने को उतावला हो रहा अमेरिका

Aarti Kushwaha
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

Pakistan-America: पाकिस्तान की रेको डिक गोल्ड परियोजना के लिए अमेरिका ने कर्ज देने की इच्छा जाहिर की है. यदि अमेरिका इस प्रोजेक्‍ट में निवेश करता है, तो पाकिस्‍तान में बीते दशकों में उसका यह पहला बड़ा निवेश होगा. एक रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका का निर्यात-आयात (एक्जिम) बैंक, अमेरिकी सरकार की निर्यात क्रेडिट एजेंसी साथ रेको डिक परियोजना में फाइनेंस के लिए उत्सुक है. हालांकि इससे पहले सऊदी ने इसमें निवेश की इच्छा जाहिर की थी.

3.5 अरब डॉलर की जरूरत

रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्‍तान की रेको डिक परियोजना के लिए नए व्यवहार्यता अध्ययन को अभी तक अंतिम रूप नहीं दिया गया है. बात दें कि इस परियोजना की लागत 6 से 6.5 अरब डॉलर के बीच होने की संभावना है. ऐसे में इस परियोजना के लिए ऋण वित्तपोषण में करीब 3.5 अरब डॉलर की जरूरत है.

पाकिस्तान और अमेरिकी अधिकारियों में चर्चा जारी

सूत्रों के अनुसार, पाकिस्‍तान के वित्त मंत्री मुहम्मद औरंगजेब ने इस मुद्दे पर इस्लामाबाद में अमेरिकी राजदूत डोनाल्ड ब्लोम के साथ बातचीत की है. वहीं, पाक विदेश मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने कहा कि वॉशिंगटन पाकिस्तान के साथ काम करने, अमेरिका-पाकिस्तान व्यापार, निवेश और आर्थिक संबंधों को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है.

निवेश का एक प्रमुख स्रोत है अमेरिका

पाकिस्‍तान के वित्त मंत्रालय के प्रवक्ता कमर अब्बासी ने कहा कि अमेरिका पाकिस्तान का सबसे बड़ा निर्यात बाजार, उच्च गुणवत्ता वाले निवेश का एक प्रमुख स्रोत है. इसके साथ ही संयुक्त आर्थिक समृद्धि के लिए भी एक मजबूत भागीदार है. ऐसे में अमेरिका पाकिस्तान के आर्थिक सुधारों का समर्थन करना जारी रखता है.

गेम-चेंजर है खनन परियोजना

दरअसल, पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत के चाघी जिले स्थित रेको डिक कॉपर गोल्ड प्रोजेक्ट में हाल ही में सऊदी अरब ने निवेश करने की बात कही थी. हालांकि पाक सरकार का कहना है कि खनन परियोजना गेम-चेंजर है और बलूचिस्तान को इससे 33 प्रतिशत वित्तीय लाभ मिल सकता है.

बैरिक गोल्ड के पास 50 प्रतिशत की हिस्सेदारी

बता दें कि इस परियोजना में 50 प्रतिशत की हिस्सेदारी बैरिक गोल्ड के पास है. जबकि शेष 50 प्रतिशत भागीदारी पाकिस्तान और बलूचिस्तान प्रांत की सरकारों के पास है. ऐसे में इसे संघीय सरकार और बलूचिस्तान सरकार के बीच समान रूप से बांटा जाएगा.

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