Pakistan: पाकिस्तान में दंगा पीड़ितों को इंसाफ नहीं मिलने के कारण सरकार के खिलाफ प्रदर्शन जारी है. इस दौरान फैसलाबाद जिले में कई ईसाई नेता सड़कों पर उतरे है. उन्होंने यह प्रदर्शन 16 अगस्त 2023 को जारनवाला शहर में हुए दंगों को लेकर किया. बता दें कि पाकिस्तान में ये दंगे ईशनिंदा के आरोपों के चलते भड़के थे.
प्रदर्शनकारियों में माइनॉरिटी राइट्स मूवमेंट के प्रमुख लाला रॉबिन डैनियल, शकील भट्टी, इबरार यूनिस साहूत्रा, पादरी फराज सिद्दीक, सैमसन सलामत, शफीक गोशी, यासु भट्टी और अन्य शामिल है. उन्होंने प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि दंगों के दो साल बाद भी फैसलाबाद की आतंकवाद-निरोधी अदालत ने किसी भी आरोपी को सजा नहीं सुनाई है.
27 चर्च और 23 घरों को भीड़ ने कर दिया था आग के हवाले
उन्होंने दावा किया कि दंगों के दौरान 27 चर्च और 23 घरों को भीड़ ने आग के हवाले कर दिया था, लेकिन पुलिस जांच में सभी नामजद आरोपियों को निर्दोष पाया गया. वहीं, पाकिस्तानी मीडिया के मुताबिक, नेताओं ने ईसाई समुदाय और दुनिया भर के नागरिक समाज के लोगों से पीड़ितों के लिए न्याय की मांग करते हुए धरना प्रदर्शन करने का आह्वान किया.
शरिया कानून के प्रावधानों से उत्पन्न हुआ…
वहीं, इस महीने की शुरुआत में ब्रुसेल्स स्थित यूरोपियन कंजर्वेटिव की एक रिपोर्ट में उल्लेख किया गया कि पाकिस्तान अपनी विवादास्पद ईशनिंदा कानूनों के माध्यम से अल्पसंख्यकों (विशेष रूप से ईसाई समुदाय) पर अत्याचार जारी रखे हुए है. रिपोर्ट में कहा गया कि धार्मिक असहिष्णुता और अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा का पैटर्न 1973 में इस्लामी संविधान को अपनाने और सिविल कोड में शरिया कानून के प्रावधानों से उत्पन्न हुआ है, क्योंकि पाकिस्तानी संविधान के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार ‘इस्लाम की महिमा’ को बनाए रखने तक सीमित है.
परवेज मसीह पर लगा ये आरोप
यूरोपियन कंजर्वेटिव की रिपोर्ट में जारनवाला में ईसाई अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा को उल्लेखित करते हुए बताया गया कि परवेज मसीह पर ईशनिंदा सामग्री लिखने का आरोप लगाया गया, जिसके बाद अगस्त 2023 में क्षेत्र में हिंसक दंगे भड़क उठे. इसके बाद, इस साल 18 अप्रैल को उन्हें मृत्युदंड के साथ-साथ अन्य गंभीर सजाओं की सजा सुनाई गई.
मानवाधिकार संगठनों ने भी हिंसा पर जताई चिंता
रिपोर्ट में कहा गया कि “अगस्त 2023 में जारनवाला में कम से कम 20 चर्चों को नष्ट करने और सैकड़ों ईसाइयों को जबरन विस्थापित करने वाली घटना ईशनिंदा कानूनों के परिणामस्वरूप होने वाली हिंसा का एक उदाहरण मात्र है.” पाकिस्तान के कई मानवाधिकार संगठनों ने भी देश में धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ बढ़ती हिंसा की लहर के बीच गंभीर चिंता जताई है.
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