Pakistan-Europe Relations: हाल के समय में पाकिस्तान की विदेश नीति में एक नया रुख देखने को मिल रहा है. आर्थिक संकट और वैश्विक मंच पर सीमित प्रभाव के बीच अब इस्लामाबाद यूरोप की ओर ज्यादा सक्रिय होता दिखाई दे रहा है. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि पाकिस्तान उन देशों से रिश्ते मजबूत करने की कोशिश कर रहा है, जिनके साथ भारत के दशकों पुराने और गहरे राजनीतिक तथा आर्थिक संबंध रहे हैं. इस मामले को लेकर एक्सपर्ट का कहना है कि यह बदलाव केवल कूटनीतिक विस्तार नहीं, बल्कि भारत के बढ़ते वैश्विक प्रभाव को संतुलित करने की एक रणनीति भी हो सकता है.
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक अक्टूबर 2025 में पोलैंड के उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री रादोस्लाव सिकोरस्की ने पाकिस्तान का दौरा किया. बता दें कि उनके इस दौरे को दोनों देशों के संबंधों में एक अहम मोड़ के रूप में देखा गया. इसके साथ ही इस बैठक में व्यापार, निवेश, ऊर्जा, खनन के साथ और भी कई मुद्दों पर बातचीत की गई. इस दौरान दोनों पक्षों ने आपसी रिश्तों को व्यापक और दीर्घकालिक साझेदारी में बदलने की इच्छा जताई.
खनन क्षेत्र में सहयोग को लेकर गंभीर चर्चा
प्राप्त जानकारी के मुताबिक, पाकिस्तान और पोलैंड के बीच ऊर्जा और खनन क्षेत्र में सहयोग को लेकर गंभीर चर्चा हुई है. बता दें कि इसमें पोलिश ऑयल एंड गैस कंपनियों की पाकिस्तान में प्राकृतिक गैस की खोज और उत्पादन से जुड़ी परियोजनाएं शामिल हैं. इसके साथ ही दोनों देशों के बीच ऐतिहासिक संबंध द्वितीय विश्व युद्ध के समय से जुड़े रहे हैं.
पोलैंड के साथ पाक की नए रिश्ते गढ़ने की कोशिश
जानकारी के मुताबिक, जहां पाकिस्तान पोलैंड के साथ नए रिश्ते गढ़ने की कोशिश कर रहा है, बता दें कि काफी लंबे समय से भारत और पोलैंड के संबंध काफी अच्छे रहे हैं. इतना ही नही बल्कि दोनों देशों के नेताओं ने इस बैठक में उपनिवेशवाद और साम्राज्यवाद के विरोध जैसे साझा विचारों पर चर्चा की. साथ ही 1989 में पोलैंड में लोकतांत्रिक बदलाव के बाद भी भारत-पोलैंड संबंधों में निरंतर मजबूती आती रही और आर्थिक सहयोग नई ऊंचाइयों पर पहुंचा.
राजनयिक संबंध स्थापित करने की दिशा में कदम
इसके साथ ही पोलैंड के बाद पाकिस्तान ने आर्मेनिया के साथ भी राजनयिक संबंध स्थापित करने की दिशा में कदम बढ़ाया है. बता दें कि अगस्त 2025 में दोनों देशों ने औपचारिक रूप से संबंध बहाल करने का फैसला किया. प्राप्त जानकारी के मुताबिक, इससे पहले पाकिस्तान आर्मेनिया को मान्यता नहीं देता था. लेकिन आर्मेनिया दक्षिण काकेशस क्षेत्र में भारत का अहम साझेदार माना जाता है और रूस, ईरान व तुर्की के बीच इसकी रणनीतिक स्थिति काफी महत्वपूर्ण है.
पाकिस्तान की यह रणनीति भारत के लिए तत्काल चुनौती नहीं
इस मामले को लेकर विशेषज्ञों का कहना है कि पाकिस्तान की यह रणनीति भारत के लिए तत्काल चुनौती नहीं है, लेकिन यह जरूर दिखाती है कि इस्लामाबाद अब पारंपरिक सहयोगियों से आगे बढ़कर नए विकल्प तलाश रहा है. हालांकि भारत की मजबूत आर्थिक स्थिति, स्थिर कूटनीति और लंबे समय से बने भरोसेमंद रिश्तों के सामने पाकिस्तान के ये प्रयास कितने प्रभावी होंगे, यह आने वाला समय ही तय करेगा.
इसे भी पढ़ें :- ‘मिल गया एक और ‘धुरंधर’, पाकिस्तान के कबड्डी खिलाड़ी ने भारत की जर्सी पहन खेला मैच

