POR Card रद्द होने से पाकिस्‍तान में रह रहे अफगान शरणार्थियों की बढ़ी मुसीबतें, संयुक्‍त राष्‍ट्र ने भी जताई चिंता

Aarti Kushwaha
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Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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Pakistan news: पाकिस्तान में रह रहें हजारो अफगान नागरिकों के लिए बड़ा संकट खड़ा हो गया है. हाल ही में पाकिस्तान ने अफगान शरणार्थियों को दिए पंजीकरण प्रमाण (पीओआर) कार्ड रद्द कर दिए हैं, जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार किया जा रहा है और जबरन पाकिस्तान से बाहर निकाला जा रहा है. इसकी जानकारी स्थानीय मीडिया द्वारा दी गई है.

पाकिस्तानी अधिकारियों द्वारा अफगान शरणार्थियों की गिरफ्तारी और निर्वासन ने प्रवासियों के बीच चिंताएं बढ़ा दी हैं. स्थिति को संभालने के लिए अफगानिस्तान और पाकिस्तान की सरकारों के बीच बातचीत की मांग तेज हो गई है.

अफगान प्रवासियों को पर लगातार हो रही कार्रवाई

अफगानी मीडिया ने मंगलवार को पाकिस्तान में एक अफगान प्रवासी शबाना के हवाले से कहा कि “उम्मीद थी कि पीओआर कार्ड रखने वाले अफगान प्रवासियों को कम से कम छह महीने की मोहलत दी जाएगी, लेकिन दुर्भाग्य से, पाकिस्तान के एकतरफा फैसले के कारण अफगान प्रवासियों पर लगातार कार्रवाई हो रही है. ”

वहीं, एक अन्य अफगान प्रवासी ने कहा कि पाकिस्तानी सरकार ने अपना पुराना फैसला बदल दिया है और अब अफ़गान प्रवासियों की वापसी के लिए एक योजना बनाकर उसे लागू कर रही है. दरअसल, इस्लामाबाद स्थित अफगानिस्तान दूतावास ने घोषणा की है कि पिछले तीन दिनों में रावलपिंडी और इस्लामाबाद में कम से कम 800 अफगान नागरिकों को गिरफ्तार किया गया है, जिसमें करीब 380 लोगों को वैध शरणार्थी दस्तावेज होने के बावजूद जबरन निर्वासित कर दिया गया.

पाकिस्‍तान का फैसला एकतरफा

दूतावास का कहना है कि य‍ह कदम एकतरफा उठाया गया है, जिसमें अफगान सरकार, संयुक्त राष्ट्र या यूएनएचसीआर का कोई समन्वय नहीं था. वहीं, इस्लामाबाद स्थित अफगान दूतावास की प्रवासन मामलों की उर्सुला हक्कयार ने कहा, “हमारे कार्यालय से मिली रिपोर्टों के आधार पर, पाकिस्तानी सेना ने 800 अफगान प्रवासियों को गिरफ्तार किया है, जिनमें से 380 के पास वैध कार्ड थे, लेकिन फिर भी उन्हें निर्वासित कर दिया गया.”

प्रवासियों की रक्षा करना अफगान सरकार और अंतरराष्ट्रीय संगठनों की जिम्‍मेदारी

वहीं, प्रवासी अधिकार कार्यकर्ता मोहम्मद खान मोहम्मदजई ने कहा कि “ऐसी परिस्थितियों में, प्रवासियों, खासकर जिनके पास कानूनी दस्तावेज हैं, के अधिकारों की रक्षा करना वर्तमान अफगान सरकार और अंतरराष्ट्रीय संगठनों, दोनों की जिम्मेदारी है. ”

हालांकि इससे पहले अफगानिस्तान के शरणार्थी और प्रत्यावर्तन मंत्रालय के एक उप मंत्री ने जोर देकर कहा था कि पड़ोसी देशों से अफगान प्रवासियों का जबरन निर्वासन अंतरराष्ट्रीय और इस्लामी कानून, दोनों का उल्लंघन है. साथ ही उन्होंने मेजबान देशों से प्रवासियों के अधिकारों के सम्मान का भी आग्रह किया था.

पाकिस्‍तान से लौटे 12 लाख से अधिक अफगानी

दरअसल, संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त द्वारा हाल ही में जारी की गई रिपोर्ट में कहा गया कि सितंबर 2023 से अब तक लगभग 12 लाख अफगान पाकिस्तान से लौटे हैं. वहीं, रिपोर्ट में यूएनएचसीआर ने उल्लेख किया कि लौटने वाले कई अफगानों को गंभीर परिस्थितियों का सामना करना पड़ रहा है. जबकि मीडिया के मुताबिक, अकेले 2025 में 3,15,000 से ज्यादा अफगान अफगानिस्तान वापस आए, जिनमें 51,000 ऐसे थे जिन्हें पाकिस्तानी अधिकारियों ने जबरन निर्वासित कर दिया था.

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