कंगाल पाकिस्तान को बेचनी पड़ रही सरकारी एयरलाइंस कंपनी, लाइव होगी नीलामी

Pakistan PIA : पाकिस्तान की आर्थिक हालत हद से बदतर होती जा रही है. उसे अपनी सरकारी एयरलाइन Pakistan International Airlines (PIA) तक बेचनी पड़ रही है. जानकारी के मुताबिक, प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ़ ने घोषणा करते हुए कहा कि 23 दिसंबर 2025 को इस एयरलाइन की नीलामी लाइव दिखायी जाएगी. बता दें कि यह फैसला IMF के कड़े दबाव और बेलआउट पैकेज की कठिन शर्तों को देखते हुए लिया गया है.

प्राप्‍त जानकारी के अनुसार PIA को खरीदने की दौड़ में चार बड़े नाम शामिल हैं. इन चारों में सबसे ज़्यादा चर्चा फौजी फर्टिलाइज़र कंपनी की है, जो कि विशेष रूप से पाकिस्तानी सेना के प्रभाव में चलने वाली फौजी फाउंडेशन से जुड़ी है. ऐसे में पाकिस्तान की राजनीति और अर्थव्यवस्था में सेना की गहरी पकड़ को देखते हुए माना जा रहा है कि अंततः यह एयरलाइन उसी समूह के हाथों जा सकती है. इसके साथ ही दावेदारों में लकी सीमेंट समूह, आरिफ हबीब कॉर्प और एयर ब्लू लिमिटेड भी शामिल हैं. मीडिया रिपोर्ट का कहना है कि यह पहली बार है जब पाकिस्तान किसी सरकारी एयरलाइन की बोली को सार्वजनिक तौर पर लाइव दिखाएगा.

दिवालिया होने के कगार पर पाक की अर्थव्यवस्था

बता दें कि पिछले कई वर्षों से पाकिस्‍तान कर्ज पर कर्ज लेकर चल रहा है. 2023 में देश लगभग दिवालिया होने के कगार पर था. बताया जा रहा है कि रक्षा खर्च लगातार बढ़ता गया और राजस्व घटता रहा. प्राप्‍त जानकारी के अनुसार IMF से लिए गए कर्ज़ों की संख्या 20 से भी अधिक हो चुकी है, जबकि देश की अपनी आर्थिक क्षमता बहुत कम है. ऐसे में IMF ने 7 अरब डॉलर के बेलआउट पैकेज को मंजूरी तो दे दी, लेकिन शर्त रखी कि पाकिस्तान सरकारी कंपनियों में सुधार करे.

अमेरिका समेत इन देशों ने PIA की उड़ानों पर लगाई रोक

प्राप्‍त जानकारी के अनुसार कभी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित मानी जाने वाली PIA अपनी ही गलतियों के कारण बर्बादी की गहराई में चली गई. मीडिया के मुताबिक, 2020 में खबर सामने आयी है कि लगभग एक-तिहाई पाकिस्तानी पायलटों के लाइसेंस फर्जी या संदिग्ध थे. इसी के बाद से यूरोप, ब्रिटेन और अमेरिका ने PIA की उड़ानों पर रोक लगा दी. इसके साथ ही हर साल अरबों का घाटा लिखने वाली यह कंपनी पाकिस्तान की सबसे बड़ी आर्थिक बीमारी बन गई.

कर्ज में डूबा पाकिस्‍तान

आज के समय में पाकिस्तान उस कगार पर पहुंच चुका है जहां पुराने कर्ज़ चुकाने के लिए भी नया कर्ज़ लेना पड़ रहा है. इस दौरान PIA का निजीकरण उसके लिए मजबूरी बन गया है. IMF की शर्तें पूरी करने के अलावा पाकिस्तान के पास कोई और रास्ता दिखाई नहीं दे रहा. इसके साथ ही आने वाले वर्षों में यह देखा जाएगा कि क्या PIA को बेचने के बाद देश अपने आर्थिक गिरावट के सिलसिले को रोक पाता है या नहीं.

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