Pakistan Vs Afghanistan: कतर की राजधानी दोहा में पाकिस्तान के साथ अफगानिस्तान ने युद्धविराम की डील में भी अपनी बढ़त बना ली. वो भी उस वक्त जब शांति समझौते को लेकर आयोजित इस मीटिंग में तुर्की शामिल था. ऐसे में अब पाकिस्तान अपनी किरकिरी से बचने के लिए शांति समझौते का ब्यौरा सार्वजनिक न करने का फैसला लिया है.
दरअसल, पाक के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ का कहना है कि दोनों देशों के बीच शांति को लेकर अभी भी बातचीत चल रही है, इसलिए हम ब्यौरा सार्वजनिक नहीं करेंगे. बता दें कि पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच पांच दिनों तक लगातार जंग जैसी स्थिति बनी रही, जिसके बाद कतर के हस्तक्षेप से दोनों देशों के बीच युद्धाविराम की स्थिति बनी है.
पाकिस्तान को कई मुद्दों पर लगा झटका
बता दें कि पाकिस्तान पहले तालिबान की सरकार को एक गैर-लोकतांत्रिक सरकार बता रही थी, लेकिन कतर की ओर दबाव बनाए जाने के बाद उसने बातचीत के लिए सहमति जताई. दरअसल पाकिस्तान युद्धविराम से ज्यादा डूरंड लाइन और तहरीक ए तालिबान के आतंकियों को लेकर बात करने की कवायद में जुटा था. हालांकि, दोनों ही मुद्दे पर उसे झटका लग गया. दोहा बैठक में न तो डूरंड लाइन पर कोई बात हुई और न ही तहरीक ए तालिबान के आतंकियों को लेकर.
तालिबान के सभी मांगों पर बनी सहमति
वहीं, तालिबान ने जिन 3 मांगों को रखा था, उस पर दोहा में सहमति बन गई. बता दें कि तालिबान की कोशिश व्यापार वाले रास्ते को खुलवाने की थी. पाकिस्तान ने उन रास्तों को रोक दिया था. इतना ही नहीं पाकिस्तान ने अब तालिबान पर अटैक न करने की बात कही. यानी अफगानिस्तान की सभी मांगें मान ली गई.
क्या है टीटीपी और डूरंड लाइन विवाद
दरअसल, पाकिस्तान डूरंड लाइन को अफगानिस्तान का आधिकारिक सीमा मानता है, लेकिन तालिबान का कहना है कि यह एक नकली लाइन हैऔर यह किसी देश की सीमा का निर्धारण नहीं कर सकता है. साथ ही वो खैबर के कुछ हिस्सों पर भी अपना दावा करता है. डूरंड लाइन को लेकर शांति समझौते के बाद कतर ने एक बयान जारी किया, जिसे उसे बाद में वापस लेना पड़ गया.
पाकिस्तान का कहना है कि टीटीपी नामक आतंकी संगठन ने उसके नाक में दम कर रखा है, जिसे अफगानिस्तान से शह मिलता है. टीटीपी के पास अफगानिस्तान में करीब 8 हजार लड़ाके हैं. जबकि अफगानिस्तान के मुताबिक, यह सब मनगढ़ंत कहानी है. पाकिस्तान के अंदर ही आईएसआईएस जैसे आतंकी संगठन एक्टिव हैं.
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