भारत के तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था की दुनियां हुई फैन, चीनियों ने पीएम मोदी को दिया नया निक नेम

Aarti Kushwaha
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Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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PM Modi Nickname: भारत और चीन के बीच के संबंधों में अब धीरे-धीरे नजदीकियां बढ़ती हुई नजर आ रही है. वैसे तो आज के समय में दुनियाभर में भारत के तेजी से बढ़ती हुई अर्थव्‍यवस्‍था का डंका बज रहा है. ऐसे में ही अब रूस और चीन के बीच भारतीय पीएम को अपने अपने देश में बुलाने ही होड़ मची हुई है.

दरअसल, एक ओर जहां रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को रूस की नेशनल डे परेड की परेड में बुला रहे हैं, तो वहीं, दूसरी ओर चीन ने भी कहा है कि वो इस साल वो इस साल बीजिंग में होने वाले शंघाई कॉरपोरेशन शिखर सम्मेलन में बेसब्री से पीएम मोदी का इंतजार कर रहा है.

पीएम मोदी से मिलने के लिए बेताब चीनी

बता दें कि अब किसी से छुपी नहीं रह गई कि पीएम मोदी दुनिया के लोकप्रिय नेताओं की लिस्ट में हमेशा टॉप पर रहते हैं. वो जहां भी जाते है लोग उनके दिवाने हो जाते है. ऐसे में चीन की जनता भी उनके एक दर्शन पाने के लिए बेताब है, दिलचस्‍प बात से है कि चीन के लोग पीएम मोदी को सबसे अलग मानते हैं इसलिए उन्‍होंने पीएम मोदी को एक नया निक नेम भी दिया है.

चीनियों ने पीएम मोदी को दिया निक नेम

चीन के लोग पीएम मोदी की पॉलिसी उनके कपड़े और उनके चाल-ढाल सभी के फैन हैं. ऐसे में एक चीनी पत्रकार ने बताया कि चीनी सोशल मीडिया पर उनका  (प्रत्रकार) का एक लोकप्रिय अकाउंट है, जहां उपयोगकर्ता अक्सर विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर टिप्पणी करते हैं. ऐसे में ही पीएम मोदी को लेकर बातचीत की गई तो चीनी लोगों ने पीएम मोदी को प्‍यार से लाओशिया कहा. उन्‍होंने बताया कि लाओशियान का अर्थ अनोखी ताकत वाला बुजुर्ग व्यक्ति है. ऐसे में आप इस नाम से ही अंदाजा लगा सकते है कि पीएम मोदी के बारे में वो क्‍या सोचते हैं.

भारत पर दबाव बना सकता है अमेरिका

चीनी पत्रकार ने बताया कि  लोगों का मानना है कि जल्‍द ही भारत और चीन के संबंण बेहतर होंगे, लेकिन वो ये नहीं चाहते कि भारत अमेरिका के करीब आए. दरअसल, चीनियों का मानना है कि यदि भारत दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाता है, तो अमेरिका और पश्चिम इसे दबाने की कोशिश करेंगे, जैसा कि वे अब चीन के साथ कर रहे हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक, चीनियों के मुताबिक, चीन, भारत और रूस के बीच सहयोग मजबूत होने से पश्चिम का दबाव बढ़ सकता है. भारत भी पश्चिम पर पूरा भरोसा नहीं करता.

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