आम की वो प्रजाति जिसे लेकर आज भी होता है भारत-पाकिस्तान में जंग, इंदिरा गांधी ने शुरू किया था विवाद

Shubham Tiwari
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Sub Editor The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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Rataul Mango Conflict Between India and Pakistan: आजादी के दौरान भारत और पाकिस्तान दोनों देशों में बंटवारा हो गया था. लेकिन बंटवारे के साथ ही दोनों देशों के बीच विवाद भी शुरू हो गया. जो आज तक नहीं सुलझा है. पीओके, नदी के पानी समेत अलग-अलग मुद्दों पर दोनों देशों के बीच विवाद हैं. वहीं, इन दोनों देशों के बीच एक ऐसा भी विवाद है, जिसे बहुत कम ही लोग जानते हैं, इस विवाद की शुरुआत पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के समय हुई थी.

पाकिस्तान से आया था इंदिरा गांधी के लिए आम

दरअसल, हम जिस विवाद की बात कर रहे हैं, वो जमीन और पानी की नहीं बल्कि आम के एक प्रजाति की है. जानकारी के मुताबिक, साल 1981 में पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति जनरल जिया उल हक ने भारत के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को रटौल आम भेजा. जिया उल हक ने बताया यह आम पाकिस्तान का है. इंदिरा गांधी को वो आम इतना पसंद आ गया कि उन्होंने जिया उल हक को पत्र लिखकर आम की तारीफ की.

ऐसे शुरू हुआ विवाद

जब यह खबर मीडिया में फैली तो यह बात सुनकर उत्तर प्रदेश में बागपत जिले के रटौल गांव के लोग चौंक गए. रटौल गांव के लोगों दावा किया कि जो आम पाकिस्तान ने जो आम प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को भेजे थे वो अपने यहां का है. इस आम की शुरुआत रटौल गांव से ही हुई थी और यह भारत की प्रजाति है, न की पाकिस्तान की. आज भी आम की इस प्रजाति पर दोनों देश अपना-अपना दावा करते रहते हैं.

जानिए आम की पूरी कहानी

यही नहीं इस मुद्दे को लेकर बागपत जिले के रटौल गांव के लिए दिल्ली पहुंचकर प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से मुलाकात भी की. गांव के लोगों ने उन्हें सबूत के साथ समझाया कि आम की यह प्रजाति भारत की है. रटौल गांव के एक किसान ने बताया कि दोनों देशों के बंटवारे के बाद उनके पिता के बड़े भाई अबरारुल हक सिद्दीकी रटौल से पाकिस्तान चले गए थे. वह अपने साथ रटौल आम की किस्म भी ले गए थे. वह आम उन्होंने मुल्तान में पैदा करना शुरू किया. साथ ही वहां उसी आम का नाम अपने पिता अनवरुल हक की याद में अनवर रटौल रख दिया.

आज भी होता है विवाद

आपको बता दें कि दुनिया भर में जहां कहीं भी आम महोत्सव होता है, वहां भारत-पाकिस्तान का यह विवाद भी पहुंच जाता है. भारत आम की इस प्रजाति को अपना बताता है और पाकिस्तान इसके स्वामित्व पर अपना दावा करता है. बागपत के किसानों के मुताबिक, यहां आज भी 2000 बीघा खेत में आम की यह प्रजाति पैदा की जाती है.

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