त्रिनिदाद और टोबैगो की संसद में भावुक हुए पीएम मोदी, स्‍पीकर की कुर्सी को लेकर कही ये बात

Aarti Kushwaha
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

Trinidad and Tobago: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 3 और 4 जुलाई को त्रिनिदाद एवं टोबैगो के दौरे पर थें, जहां उन्‍होंने शुक्रवार को संसद की संयुक्‍त सत्र को संबोधित किया. इस दौरान उन्‍होंने कहा कि जब उन्‍होंने (पीएम मोदी ने) स्पीकर की कुर्सी पर लिखे शब्द पढ़े तो वे भावुक हो गए. दरअसल, स्‍पीकर की कुर्सी पर लिखा था कि ‘भारत के लोगों की ओर से त्रिनिदाद और टोबैगो के लोगों के लिए’.

पीएम मोदी ने कहा कि स्‍पीकर की कुर्सी केवल एक फर्नीचर का टुकड़ा नहीं है. यह दोनों देशों के बीच दोस्ती, विश्वास और मजबूत लोकतांत्रिक बंधन का प्रतिनिधित्व करती है. उन्‍होंने कहा कि ‘ये पढ़कर मुझे भावुकता का एहसास हुआ, जो दोनों देशों के बीच विश्वास और दोस्ती के रिश्ते को दर्शाता है.

अपनी भारतीय विरासत पर गर्व: पीएम मोदी

भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि ‘मैं इस प्रतिष्ठित सदन में बोलने वाला भारत का पहला प्रधानमंत्री बनकर गौरवान्वित महसूस कर रहा हूं. इस महान राष्ट्र के लोगों ने दो उल्लेखनीय महिला नेताओं को चुना है- राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री. वो गर्व से खुद को प्रवासी भारतीयों की बेटियां कहती हैं. उन्हें अपनी भारतीय विरासत पर गर्व है.’

लोकतंत्र सिर्फ एक राजनीतिक मॉडल नहीं

उन्‍होंने कहा कि हम भारतीयों के लिए लोकतंत्र सिर्फ एक राजनीतिक मॉडल नहीं बल्कि हमारे लिए यह जीवन जीने का एक तरीका है. इस संसद में भी कुछ ऐसे सदस्य हैं जिनके पूर्वज भारत के बिहार राज्य से आए थे, जो महाजनपदों – प्राचीन गणराज्यों की भूमि है. मुझे कहना होगा कि भारतीय वेस्टइंडीज क्रिकेट टीम के सबसे उत्साही प्रशंसकों में से हैं. हम पूरे दिल से उनका उत्साहवर्धन करते हैं, सिवाय उस समय के जब वो भारत के खिलाफ खेल रहे हों.

180 साल पहले यहां आएं थें भारतीय

त्रिनिदाद और टोबैगो के संसद में संयुक्त सत्र को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि 180 साल पहले, पहले भारतीय समुद्र पार एक लंबी और कठिन यात्रा के बाद इस भूमि पर पहुंचे थे. उन्‍होंने कहा कि भारतीय धुनें कैरेबियाई लय के साथ खूबसूरती से मिश्रित हुईं. राजनीति से लेकर कविता तक, क्रिकेट से लेकर वाणिज्य तक, वो हर क्षेत्र में योगदान देते हैं.’

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