Washington: राष्ट्रपति ट्रंप ने भले ही भारत के हितों के खिलाफ कई नीतियां लागू की हों, लेकिन अमेरिका में रिपब्लिकन और डेमोक्रेट दोनों पार्टियों के सांसदों का लगातार भारत को समर्थन मिल रहा है. ये सभी सांसद मिलकर भारत-अमेरिका संबंधों को मजबूत करने में जुट गए हैं. उन्होंने एच-1बी वीजा नियमों को लेकर भी अपनी चिंता जताई और इसके लिए राष्ट्रपति ट्रंप और वाणिज्य सचिव हावर्ड लुटनिक को पत्र लिखा.
कम से कम छह संयुक्त पत्र और प्रस्ताव तैयार
सांसदों का कहना है कि दोनों पार्टियों को मिलकर इस साझेदारी का समर्थन करते हुए भारत-अमेरिका रिश्तों को मजबूत रखना चाहिए. पिछले दस दिनों में कम से कम छह संयुक्त पत्र और प्रस्ताव तैयार किए गए हैं. इन पत्रों में भारतीय अमेरिकी समुदाय के हितों की सुरक्षा करने और भारत-अमेरिका के सहयोग को बनाए रखने पर जोर दिया गया है. इसके साथ ही ट्रंप प्रशासन से उन नीतियों के लिए जवाबदेही मांगी गई है.
हिंदुओं के खिलाफ गलत धारणाओं और पूर्वाग्रह को दे सकता है बढ़ावा
पिछले हफ्ते अमेरिकी सांसदों ने रटगर्स यूनिवर्सिटी में एक कार्यक्रम को लेकर चिंता जताई. उन्होंने कहा कि यह कार्यक्रम हिंदुओं के खिलाफ गलत धारणाओं और पूर्वाग्रह को बढ़ावा दे सकता है, खासकर तब जब अमेरिका में हिंदू मंदिरों पर हमले की घटनाएं बढ़ रही हैं. इस पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों में जॉर्जिया से डेमोक्रेट सैनफोर्ड बिशप, इलिनॉय से श्री थानेदार, वर्जीनिया से सुहास सुब्रमण्यम और जॉर्जिया से रिपब्लिकन रिच मैककॉर्मिक शामिल थे.
एच-1बी वीजा नियमों को लेकर जताई अपनी चिंता
इसके दो दिन पहले छह सांसदों ने राष्ट्रपति ट्रंप और वाणिज्य सचिव हावर्ड लुटनिक को पत्र लिखा. इसमें उन्होंने एच-1बी वीजा नियमों को लेकर अपनी चिंता जताई. पत्र में कहा गया कि यह नई नीतियां अमेरिकी नियोक्ताओं के लिए मुश्किलें बढ़ाएंगी और अमेरिका की वैश्विक प्रतिस्पर्धा को कमजोर करेंगी. इस पत्र पर डेमोक्रेट सुहास सुब्रमण्यम और रिपब्लिकन सांसद जॉय ओबरनोल्टे और डॉन बेकन समेत अन्य सांसदों ने भी हस्ताक्षर किए.
भारत में बैठकों में हिस्सा लेने का आग्रह
17 अक्टूबर को चार अमेरिकी सांसदों ने राष्ट्रपति ट्रंप को पत्र लिखा और भारत में होने वाले क्वाड लीडर्स समिट और एशिया की अन्य बैठकों में हिस्सा लेने का आग्रह किया. उसी दिन प्रतिनिधि सभा में एक संयुक्त प्रस्ताव भी पेश किया गया. इसमें भारतीय अमेरिकी समुदाय के अमेरिका में योगदान को मान्यता देने और भारतीय अमेरिकियों के खिलाफ नस्लीय हमलों की निंदा करने की बात कही गई. इस प्रस्ताव में भारत.अमेरिका के रिश्ते को दुनिया की सबसे महत्वपूर्ण लोकतांत्रिक साझेदारियों में से एक बताया गया.
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