हमास लड़ाकों को भूमिपुत्र बताने वाले तुर्की ने लिया यूटर्न, न्यूयॉर्क घोषणा पत्र पर किए हस्ताक्षर

Raginee Rai
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

Türkiye betrayed Hamas: हमास के लड़ाकों को भूमिपुत्र बताने वाले तुर्की ने यूटर्न ले लिया है. तुर्की ने उस पत्र पर हस्‍ताक्षर किया है, जिसे यूएन में सऊदी अरब ने 2 राष्‍ट्र सिद्धांत को लेकर पेश किया है. इस प्रस्‍ताव में फिलिस्‍तीन को अलग देश की मान्‍यता दी जाने और हमास को वहां से हमेशा के लिए चले जाने के लिए कहा गया है. बता दें कि जब मई 2024 में पूरी दुनिया में हमास की आलोचना हो रही थी, तब तुर्की के राष्‍ट्रपति रेचेप तैयब एर्दोआन हमास के लड़ाकों को भूमिपुत्र बता रहे थे.

क्‍या है न्यूयॉर्क घोषणा पत्र?

बीबीसी के मुताबिक, तुर्की उन 16 अरब देशों में शामिल है, जिसने इस पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं. तुर्की के अलावा सऊदी, जॉर्डन जैसे देशों ने इस पत्र का समर्थन किया है. इस पत्र को न्यूयॉर्क घोषणापत्र का नाम दिया गया है. 28 और 29 जुलाई को यूनाइटेड नेशन के न्यूयॉर्क ऑफिस में दो राष्ट्र सिद्धांत को लेकर बैठक बुलाई गई थी, जिसकी अध्यक्षता सऊदी अरब ने की. मीटिंग में फ्रांस और ब्रिटेन ने खुलकर इजरायल और हमास की निंदा की. इसके बाद एक प्रस्ताव तैयार किया गया.

इस प्रस्ताव में कहा गया है कि गाजा और वेस्‍ट बैंक में शांति तभी आ सकती है जब फिलिस्तीन को एक देश के रूप में मान्यता दी जाए. फ्रांस सहित 16 देश इसके समर्थन में खुलकर आए हैं. तुर्की ने भी इसका सपोर्ट किया है. प्रस्ताव में आगे कहा गया है कि फिलिस्तीन जो नया राष्‍ट्र बनेगा, वहां की सत्ता राजनीतिक संगठन को ही मिल सकती है. फिलिस्तीन से हमास को हमेशा के लिए जाना होगा. इसी मुद्दे को लेकर तुर्की पर सवाल खड़े हो रहे हैं.

एर्दोआन के अनुसार हमास रक्षक

मई 2024 में इजरायल और हमास के बीच युद्ध छिड़ने के बाद जब पूरी दुनिया में हमास की आलोचना हो रही थी, तब एर्दोगन ने खुलकर उसका समर्थन किया था. उस समय तुर्की के राष्‍ट्रपति एर्दोआन ने कहा था कि संगठन के लड़ाके अपनी जमीन के लिए लड़ रहे हैं. एर्दोआन के मुताबिक हमास फिलिस्तीनी भूमि की रक्षा करने वाला एक प्रतिरोध संगठन है.

तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोआन ने हमास की तुलना कुवा-यी मिलिये से की थी. कुवा-यी मिलिये ने तुर्की गणराज्य की स्थापना के लिए तब के शासन के खिलाफ जंग छेड़ी थी. इतना ही नहीं तुर्की के विदेश मंत्री और खुफिया प्रमुख कई बार हमास के साथ मीटिंग कर चुके हैं. यही वजह है कि तुर्की के यूटर्न पर सवाल उठ रहे हैं.

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