भारत-यूके ने लॉन्च किया ‘कनेक्टिविटी एंड इनोवेशन सेंटर’; 6जी तकनीक के विकास के लिए निर्णायक

Aarti Kushwaha
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

UK-India Partnership: भारत और यूनाइटेड किंगडम ने डिजिटल समावेशन (इन्क्लूजन) और सुरक्षित संचार के भविष्य को आकार देने के लिए एक ऐतिहासिक रणनीतिक साझेदारी की घोषणा की है, जिसके तहत ‘इंडिया-यूके कनेक्टिविटी एंड इनोवेशन सेंटर’ की शुरुआत की गई है. यह दोनों देशों की नवाचार क्षमता को एकजुट कर उन्नत दूरसंचार तकनीकों में नए व्यावसायिक अवसर पैदा करेगा.

दोनों देशों के बीच हुए इस पहल का उद्देश्य अनुसंधान, प्रयोगशाला परीक्षण, फील्ड ट्रायल और बाजार में उत्पादों की तैनाती को एक मंच पर लाना है, जिससे उद्योग जगत नई तकनीकों का परीक्षण और विस्तार कर सके.

24 मिलियन पाउंड का होगा निवेश

रिपोर्ट के मुताबिक, इस परियोजना के तहत भारत-ब्रिटेन आगामी चार वर्षों में कुल 24 मिलियन पाउंड (लगभग 255 करोड़ रुपये) का निवेश करेंगे, जो दोनों देशों के अग्रणी अनुसंधान केंद्रों, उद्योग-अकादमिक साझेदारियों, संयुक्त टेस्टबेड्स और वैश्विक तकनीकी मानकों के विकास में सहयोग के लिए होगा.

6जी तकनीक के विकास के लिए निर्णायक समय

यह पहल भारत के दूरसंचार विभाग (DoT) और यूनाइटेड किंगडम रिसर्च एंड इनोवेशन (UKRI) के सहयोग से ‘यूके-इंडिया टेक्नोलॉजी सिक्योरिटी इनिशिएटिव’ के तहत लागू की जा रही है. दरअसल आने वाले चार वर्षों को 6जी तकनीक के विकास के लिए निर्णायक समय माना जा रहा है, और इस दौरान यह सेंटर 3 प्रमुख क्षेत्रों में काम करेगा.

पहलाआर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के उपयोग से टेलीकॉम नेटवर्क को और अधिक कुशल बनाना तथा नई सेवाओं को शुरू करना.

दूसरानॉन-टेरेस्ट्रियल नेटवर्क (NTN) यानी सैटेलाइट और एयरबोर्न सिस्टम के माध्यम से ग्रामीण और दूरस्थ इलाकों में तेज इंटरनेट पहुंचाना.

तीसरा दूरसंचार साइबर सुरक्षा को मजबूत करना ताकि नेटवर्क अधिक लचीला और भरोसेमंद बन सके.

आर्थिक और रणनीतिक सुरक्षा के लाभ

बता दें कि भारत और ब्रिटेन का मानना है कि कनेक्टिविटी और दूरसंचार प्रौद्योगिकियां दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं और समाजों की रीढ़ हैं. इसलिए, इन्हें एक साझा प्लेटफॉर्म पर विकसित करने से न केवल आर्थिक बल्कि रणनीतिक सुरक्षा लाभ भी प्राप्त होंगे. यह पहल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ब्रिटिश प्रधानमंत्री के बीच अपनाई गई ‘इंडिया-यूके विजन 2035’ की साझा महत्वाकांक्षा को भी दर्शाती है, जो दोनों देशों के बीच अनुसंधान और नवाचार सहयोग को और सशक्त बनाएगी.

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