UK recognizes Palestine: ब्रिटेन आज फिलिस्तीन को औपचारिक रूप से राष्ट्र की मान्यता देने जा रहा है, जिसका ऐलान पीएम कीर स्टार्मर द्वारा रविवार को किया जा सकता है. दरअसल, जुलाई में ही ब्रिटेन सरकार ने कहा था कि यदि सितंबर तक गाजा में इजरायली नरसंहार नहीं रुका, तो वह फिलिस्तीन को मान्यता देंगे.
कीर स्टार्मर ने किया था ये आह्वान
कीर स्टार्मर ने इजरायल से गाजा में भयावह स्थिति को खत्म करने, युद्ध विराम पर सहमत होने, स्थायी शांति के लिए प्रतिबद्ध होने, संयुक्त राष्ट्र को सहायता आपूर्ति फिर से शुरू करने की अनुमति देने और वेस्ट बैंक को अपने में न मिलाने के लिए ठोस कदम उठाने का आह्वान किया था.
हालांकि इजरायली विदेश मंत्रालय ने कीर स्टार्मर के इस बयान को खारिज कर दिया था, साथ ही नेतन्याहू ने दावा किया था कि किर स्टार्मर हमास को सम्मानित कर रहे हैं और बंधकों को दंडित कर रहे हैं.
इजरायल ने की ब्रिटेन के फैसले का विरोध
फिलिस्तीन को औपचारिक रूप से राष्ट्र की मान्यता देने के बाद ब्रिटेन संयुक्त राष्ट्र के उन 193 देशों में से 147 देशों में शामिल हो जाएगा, जिन्होंने सोमवार को न्यूयॉर्क में होने वाली संयुक्त राष्ट्र महासभा से पहले फिलिस्तीन को मान्यता दी है. इस दौरान कीर स्टार्मर के इस फैसले की जहां विश्व भर के मानव अधिकार संगठन और फिलिस्तीन राज्य के लड़ाई लड़ने वालों ने सराहना की है, वहीं इजरायल में कई दक्षिणपंथी समूह और सरकार इसका विरोध कर रही है.
नहीं हुआ युद्ध विराम
बता दें कि ब्रिटने सरकार ने इजरायल को युद्ध विराम करने और गाजा की भयावह स्थिति को समाप्त करने के लिए सितंबर तक की चेतावनी दी थी. लेकिन गाजा युद्ध रूका नहीं बल्कि वहां की स्थिति और भी बिगड़ गई है. ऐसे में एक ओर UN ने गाजा में भुखमरी का ऐलान किया है, तो वहीं दूसरी ओर इजराइल अपने सैन्य अभियानों का विस्तार कर रहा है.
दरअसल, इजरायल ने गाजा शहर पर कब्जा करने और हमास के खात्मे के लिए एक बड़ा जमीनी अभियान शुरू किया है, जिसकी व्यापक निंदा हुई है. इसी बीच ब्रिटेन की विदेश सचिव यवेट कूपर ने इसे बेहद लापरवाही और भयावह बताया है.
सिर्फ मान्यता देना काफी नहीं
ब्रिटेन के अलावा, फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा समेत अन्य देशों ने कहा है कि वो इजरायल पर दबाव बनाने के कोशिशों के तहत संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन में फिलिस्तीन को मान्या देने की योजना बना रहे हैं. ऐसे में ब्रिटेन की मुस्लिम काउंसिल ने प्रधानमंत्री के इस कदम का स्वागत किया, इसके साथ ही उन्होंने ये आग्रह किया है कि मान्यता के साथ ठोस कार्रवाई भी होनी चाहिए.