Ursula von der Leyen: यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन को गुरुवार को बड़ी राहत मिली. दरअसल, दक्षिणपंथी यूरोपीय सांसदों द्वारा उनके खिलाफ लाया गया अविश्वास प्रस्ताव मतदान के दौरान खारिज कर दिया गया है. इस प्रस्ताव में वॉन डेर लेयेन के खिलाफ कई आरोपों को शामिल किया गया था, जिसमें कोविड-19 महामारी के दौरान वैक्सीन निर्माता फाइजर के मुख्य कार्यकारी अधिकारी के साथ निजी तौर पर टेक्स्ट मैसेजिंग, यूरोपीय संघ के धन का दुरुपयोग और जर्मनी और रोमानिया में चुनावों में हस्तक्षेप शामिल था.
दरअसल, फ्रांस के स्ट्रासबर्ग में यूरोपीय संसद के पूर्ण सत्र के दौरान 18 सांसदों के मतदान में हिस्सा न लेने के चलते वॉन डेर लेयेन के खिलाफ लाया गया अविश्वास प्रस्ताव 360-175 मतों से खारिज हो गया. वहीं, इस प्रस्ताव को पारित कराने के लिए पूर्ण बहुमत यानि 720 में 361 वोटों की आवश्यकता थी.
2021 में मांगे गए थें विवरण
बता दें कि साल 2024 में उर्सुला वॉन डेर लेयेन यूरोपीय आयोग की दूसरी बार अध्यक्ष बनीं थीं. वहीं, इससे पहले उनके पहले कार्यकाल के दौरान साल 2021 में यूरोपीय संसद के कुछ सदस्यों ने यूरोपीय आयोग से कोविड टीकों को लेकर समझौतों का पूरा विवरण मांगा था, लेकिन आयोग केवल कुछ अनुबंधों और दस्तावेजों तक आंशिक पहुंच प्रदान करने के लिए सहमत हुआ, जिन्हें संशोधित संस्करणों में ऑनलाइन रखा गया था.
टीका मामले में आयोग ने जानकारी देने से किया इंकार
हालांकि इस दौरान आयोग ने यह बताने से भी इनकार कर दिया कि उसने अरबों खुराकों के लिए कितना भुगतान किया, यह तर्क देते हुए कि गोपनीयता कारणों से अनुबंधों को संरक्षित किया गया था. ऐसे में यूरोपीय संघ की अदालत ने कहा था कि यूरोपीय आयोग ने महामारी के दौरान दवा कंपनियों के साथ किए गए कोविड-19 वैक्सीन खरीद समझौतों के बारे में जनता को पर्याप्त जानकारी नहीं दी.
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