US Baseline Tariff: अमेरिका 2 अप्रैल को सभी देशों से होने वाले आयात पर 10% बेसलाइन टैरिफ लगाया था, जो अब भारत-अमेरिका व्यापार समझौते की शुरुआती रूपरेखा को तय करने वाली वार्ताओं का केंद्र बिंदु बन गया है. ऐसे में ही 4 जून को दिल्ली पहुंचे अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि ब्रेंडन लिंच के नेतृत्व में एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल के साथ बातचीत में इस मामले से संबंधित भारतीय वार्ताकारों ने यह मुद्दा प्रमुख रूप से उठाया.
बता दें कि टैरिफ मुद्दे को लेकर दोनों देशों के बीच यह पांचवी बार आमना-सामना हुआ है. वहीं, 4 जून को दिल्ली पहुंचा यह अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल 10 जून तक दिल्ली में रहेगी. हालांकि इससे पहले इनके सिर्फ दो दिन दिल्ली में रूकने की खबर थी.
इस मामले में भारत का रूख स्पष्ट
दरअसल, इस मुद्दे पर बातचीत के दौरान भारतीय वार्ताकारों ने अमेरिकी पक्ष से 10% बेसलाइन टैरिफ को हटाया जाने के साथ ही 9 जुलाई से प्रस्तावित 16% अतिरिक्त शुल्क को भी लागू न करने की मांग की है. हालांकि भारत का इस मामले में रूख स्पष्ट है.उसका कहना है कि यदि अमेरिका ये शुल्क नहीं हटाता है तो उसे भी अमेरिकी वस्तुओं पर समान रूप से जवाबी टैरिफ जारी रखने का अधिकार होगा.
“दोनों ओर से एकसाथ हटने चाहिए टैरिफ”
दरअसल, एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि आदर्श स्थिति यही होगी कि जैसे ही एक अंतरिम समझौता होता है वैसे ही भारतीय वस्तुओं पर लागू 10% बेसलाइन टैरिफ और 9 जुलाई से लगने वाला 16% शुल्क एकसाथ समाप्त किए जाएं. अन्यथा भारत के पास भी यह अधिकार रहेगा कि वह अमेरिका की वस्तुओं पर कुल 26% टैरिफ जारी रखे.
“एक सबसे पुराना तो दूसरा सबसे बड़ा लोकतंत्र“
वहीं, इस वार्ता से ही जुड़े एक अन्य अधिकारी ने कहा कि दोनों देश संप्रभु हैं- एक सबसे पुराना लोकतंत्र और दूसरा सबसे बड़ा लोकतंत्र. अमेरिका सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और भारत सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है. ऐसे में कोई भी समझौता संतुलित, न्यायसंगत और लोगों के लिए स्वीकार्य होना चाहिए.
“हमारा व्यापार परस्पर पूरक है, प्रतिस्पर्धी नहीं”
इसके साथ ही भारत ने यह संकेत भी दिया है कि वह अमेरिकी वस्तुओं के लिए अपने बाजार को और खोलने के लिए तैयार है, बशर्ते अमेरिका भी समान भाव से जवाब दे. अधिकारी ने कहा, “हमारा व्यापार परस्पर पूरक है, प्रतिस्पर्धी नहीं.” भारत ने ब्रिटेन का हवाला देते हुए कहा के भारत वैसा कोई मॉडल नहीं अपनाएगा, जिससे टैरिफ बना रहे. बता दें कि ब्रिटेन को अमेरिका से मिली ‘इकोनॉमिक प्रॉस्पेरिटी डील’ (EPD) में कुछ छूटें तो मिलीं, लेकिन 10% बेसलाइन टैरिफ अब भी लागू है.
जुलाई 9 से पहले डील करने की कोशिश
बता दें कि भारत और अमेरिका 9 जुलाई से पहले एक ‘अर्ली हार्वेस्ट डील’ को अंतिम रूप देना चाहते हैं, जिससे बड़े टैरिफ लागू होने से पहले राहत मिल सके. इसके बाद सितंबर-अक्टूबर 2025 तक पूर्ण द्विपक्षीय व्यापार समझौते (BTA) पर काम पूरा होने की संभावना है.
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