भारत-पाकिस्तान के बाद इन दो देशों के बीच छिड़ सकती है जंग! पूरे ASEAN क्षेत्र की शांति और स्थिरता के लिए खतरा

Aarti Kushwaha
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

Thailand-Cambodia Tension: भारत-पाकिस्‍तान के बीच संघर्ष के बाद 28 मई को थाईलैंड और कंबोडिया की सीमा पर झड़प हुई, जिसमें एक कंबोडियाई सैनिक की मौत हो गई. इस घटना के बाद दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ा हुआ है. ऐसे में दोनों देशों की सेनाओं ने सीमा पर तैनाती बढ़ा दी है.

बता दें कि यह घटना उस विवादित क्षेत्र में हुई जहां आज तक कोई स्पष्ट सीमा-रेखा निर्धारित नहीं हुई है. वहीं, इस झड़प के बाद थाईलैंड के उप-प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री फुमथम वेचायाचाई ने कंबोडिया पर आरोप लगाया है कि उसने द्विपक्षीय वार्ता में शांति प्रस्तावों को खारिज किया और जानबूझकर तनाव को बढ़ाया.

थाईलैंड ने कंबोडिया पर लगाए ये आरोप

वहीं, थाई सेना का स्पष्ट रूप से कहना है कि कंबोडियाई सैनिक और नागरिक बार-बार थाई क्षेत्र में घुसपैठ कर रहे हैं. ऐसे में थाईलैंड ने घोषणा की कि वह सभी सीमा चौकियों पर पूर्ण नियंत्रण रखेगा और “उच्च-स्तरीय सैन्य अभियान” के लिए तैयार है. थाईलैंड सरकार का यह बयान उनकी संप्रभुता की रक्षा करने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है, वही, उनके इस बयान से ये भसी संकेत मिलता है कि दोनों देशों के बीच सीमा पर किसी भी समय सैन्‍य कार्रवाई तेज हो सकती है.

विवादित सीमा क्षेत्रों को ICJ में ले जाएगा कंबोडिया

इसी बीच कंबोडिया के प्रधानमंत्री हुन मानेट ने भी कहा है कि उनका देश संघर्ष शुरू करने में विश्वास नहीं रखता, लेकिन यदि दूसरे देशों की ओर से आक्रमण हुआ, तो बचाव के लिए पूरी तरह तैयार है. इसके साथ ही उन्होंने अंतरराष्ट्रीय कानून और कंबोडिया की संप्रभुता की रक्षा को सर्वोपरि बताया. मानेट ने यह भी घोषणा की है कि कंबोडिया अब विवादित सीमा क्षेत्रों को अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) में ले जाएगा. यह निर्णय उस समय लिया गया जब द्विपक्षीय वार्ताएं विफल हो गईं.

पिछले 100 वर्षो से चला आ रहा विवाद 

बता दें कि कंबोडिया और थाईलैंड के बीच 817 किलोमीटर लंबी सीमा है, जिसमें कई स्थानों पर संप्रभुता विवाद है. दोनों देशों के बीच यह सीमा 1907 में फ्रांस द्वारा निर्धारित की गई थी जब कंबोडिया एक फ्रांसीसी उपनिवेश था. वहीं, 2008 में विवाद ने 11वीं शताब्दी के प्रेआ विहेयर मंदिर को लेकर हिंसक रूप ले लिया, जिसमें दर्जनों लोगों की जान गई और 2011 में एक सप्ताह तक तोपखाने की गोलाबारी भी हुई.

ASEAN और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की भूमिका

वहीं, मलेशिया के प्रधानमंत्री और ASEAN अध्यक्ष अनवर इब्राहिम ने दोनों देशों के बीच मध्यस्थता की कोशिश की थी, लेकिन वो असफल रहे. ऐसे में जानकारों का कहना है कि दोनों देशों के बीच य‍ह विवाद पूरे ASEAN क्षेत्र की शांति और स्थिरता के लिए एक गंभीर खतरा हो सकता है.

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