कैपिटल हिल मामले में ट्रंप प्रशासन के खिलाफ मुकदमा, एक अधिकारी ने लगाया ये आरोप

Raginee Rai
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US News: अमेरिका में एक बार फिर कैपिटल हिल का मामला चर्चा में हैं. इस हिंसा में शामिल ट्रंप समर्थकों के खिलाफ मुकदमा चलाने वाले अभियोजक माइकल गॉर्डन ने अपनी बर्खास्तगी को राजनीति से प्रेरित बदले की कार्रवाई बताया है. इसके साथ ही उन्होंने संघीय सरकार, न्याय विभाग और राष्ट्रपति कार्यालय के खिलाफ गुरुवार को केस दायर किया है.

इस वजह से किया गया बर्खास्‍त 

माइकल गॉर्डन (47 वर्ष) के अनुसार, उन्हें 27 जून को बिना किसी स्पष्ट कारण के बर्खास्त कर दिया गया, जबकि वे अपने काम में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर रहे थे. उन्होंने दावा किया कि यह फैसला उनके द्वारा राष्ट्रपति ट्रंप के समर्थकों के खिलाफ कैपिटल दंगे में की गई कानूनी कार्रवाई के वजह से लिया गया. गॉर्डन के साथ दो अन्य पूर्व अधिकारी पेट्रीसिया हार्टमैन और जोसेफ टिरेल भी इस मुकदमे के वादी हैं. बता दें कि अमेरिकी  संसद भवन कैपिटल हिल पर 6 जनवरी 2021 को हमला हुआ था.

राष्‍ट्रपति ट्रंप के खिलाफ 3 अधिकारियों ने किया मुकदमा

पेट्रीसिया हार्टमैन कोलंबिया जिले के अमेरिकी अटॉर्नी कार्यालय में जनसंपर्क अधिकारी थे, जबकि टिरेल न्याय विभाग के नैतिकता विभाग के चीफ थे. ये तीनों पहले व्यक्ति हैं जिन्होंने सार्वजनिक रूप से मुकदमा दायर किया है जो जनवरी 2025 में राष्‍ट्रपति ट्रंप के फिर से व्हाइट हाउस में आने के बाद न्याय विभाग में शुरू हुए कथित राजनीतिक बदलावों से जुड़े हैं. गार्डन ने बताया कि उन्हें बर्खास्तगी से ठीक दो दिन पहले एक प्रदर्शन मूल्यांकन रिपोर्ट मिली थी, जिसमें उन्हें उच्चतम रेटिंग दी गई थी.

बिना कारण बताए बर्खास्‍त किए गए गार्डन

गार्डन को एक पन्ने का बर्खास्तगी पत्र भेजा गया था, जिस पर न्याय विभाग की वरिष्ठ अधिकारी पाम बॉन्डी का साइन था. लेकिन उनको बर्खास्‍तगी का कोई वजह नहीं बताया गया. गार्डन ने 2017 में अमेरिकी न्याय विभाग जॉइन किया था. माइकल गार्डन ने कहा कि उन्हें कैपिटल हिल पर हमले की ऐतिहासिक जांच में शामिल होने पर गर्व है. यह न्याय विभाग के इतिहास की सबसे बड़ी आपराधिक जांच में से एक थी.

कई अन्य अधिकारी भी हुए इस्तीफा देने पर मजबूर

गॉर्डन का यह मुकदमा अमेरिकी न्याय विभाग में संभावित राजनीतिक हस्तक्षेप और प्रतिशोध की घटनाओं की ओर इशारा करता है. डोनाल्‍ड ट्रंप के फिर से राष्ट्रपति बनने के बाद से न्याय विभाग में कई वरिष्ठ अधिकारियों को हटाया गया, डिमोटेड किया गया या इस्तीफा देने पर मजबूर किया गया है.

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