ट्रंप ने शहबाज-मुनीर को दिया 440 वोल्ट का झटका, कहा- भारत-पाकिस्तान के बीच टांग नहीं अड़ाएंगे

US-Pakistan Relations : वर्तमान में अमेरिकी विदेश विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने स्‍पष्‍ट रूप से कहा कि कश्मीर भारत और पाकिस्तान के बीच का सीधा मुद्दा है. ऐसे में अमेरिका को दोनों देशों के बीच मध्यस्थता करने में कोई दिलचस्पी नहीं है. बता दें कि अमेरिका का यह बयान पाकिस्तान के लिए बड़ा झटका है, क्योंकि वह लंबे समय से कश्मीर मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मंच पर घसीटता रहा है.

प्राप्‍त जानकारी के अनुसार पाकिस्‍तान ने हमेशा से अमेरिका से उम्‍मीद लगाई की वह संयुक्त राष्ट्र (UN) या ऑर्गनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कोऑपरेशन (OIC) जैसे मंचों से भारत पर दबाव डालने की कोशिश करे, लेकिन पाकिस्‍तान के इस बयान को लेकर अमेरिका का रुख पाकिस्‍तान के खिलाफ और भारत के पक्ष में है, इसका मुख्‍य कारण यह है कि भारत हमेशा से इस मुद्दे को द्विपक्षीय मामला मानता आया है. ऐसे में कुछ ही समय पहले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ डोनाल्ड ट्रंप से मिलने के लिए न्यूयॉर्क से वाशिंगटन पहुंचे. जहां पीएम शहबाज के अलावा आर्मी जनरल असीम मुनीर भी मौजूद थे.

इस मुद्दे को लेकर अमेरिका ने कहा

ऐसे में इस मामले को लेकर अमेरिकी अधिकारी ने स्‍पष्‍ट करते हुए कहा कि वॉशिंगटन भारत और पाकिस्तान को अलग-अलग नजरिए से देखता है और जो कि आने वाले समय में और हमेशा लिए अमेरिकी हितों के लिए बेहतर होता है, वही नीति अपनाई जाती है. इसके साथ ही अमेरिका भारत को एक बड़ा रणनीतिक साझेदार मानता है, विशेष रूप से इंडो-पैसिफिक रणनीति और आर्थिक साझेदारी में. जानकारी देते हुए बता दें कि अमेरिका का रुख पाकिस्तान के प्रति अक्सर आतंकवाद और सुरक्षा से जुड़ा रहा है. इस संदर्भ में, कश्मीर को द्विपक्षीय मुद्दा मानना अमेरिका-भारत संबंधों की मजबूती को दर्शाता है.

तीसरे पक्ष की दखलअंदाजी से बढ़ेगी जटिलता

भारत ने हमेशा से कहा कि कश्मीर और आतंकवाद से जुड़े मसले केवल भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय वार्ता से सुलझ सकते हैं. ऐसे में इस मामले को लेकर भारत का कहना है कि किसी तीसरे पक्ष की दखलअंदाजी से समाधान नहीं बल्कि और जटिलता बढ़ेगी. यही कारण है कि भारत ने हमेशा अमेरिका सहित किसी भी देश की मध्यस्थता को अस्वीकार किया है.

पाकिस्‍तान के लिए कश्‍मीर मुद्दा मुख्‍य हिस्‍सा

बता दें कि कश्मीर मुद्दा पाकिस्तान के लिए उसकी विदेश नीति का मुख्य हिस्सा रहा है, लेकिन हर बार अमेरिका और अन्य देशों से निराशाजनक प्रतिक्रिया मिलने से उसकी स्थिति कमजोर हो रही है. इतना ही नही बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंच पर कश्मीर का मुद्दा उठाने के बावजूद भी उसे वैश्विक समर्थन नहीं मिल रहा और ऐसे में भारत की मजबूत कूटनीति और अंतरराष्ट्रीय साझेदारियां पाकिस्तान पर दबाव बढ़ा रही हैं.

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