Xi Jinping : एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग (APEC) शिखर सम्मेलन में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने सदस्य देशों से व्यापार और निवेश बढ़ाने का आह्वान किया, इसके साथ ही यह भी चेतावनी देते हुए कहा कि वे अमेरिका के उस प्रयास का हिस्सा न बनें जो दुनिया को चीन पर निर्भरता कम करने की दिशा में ले जा रहा है.
प्राप्त जानकारी के अनुसार एक दिन पहले ही अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप दक्षिण कोरिया छोड़ने के बाद, शी जिनपिंग इस सम्मेलन में एकमात्र वैश्विक महाशक्ति नेता बन गए थे. बता दें कि इस सम्मेलन की शुरुआत में ही वे जापान, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और मेज़बान दक्षिण कोरिया के नेताओं व मंत्रियों से मुस्कुराते हुए हाथ मिलाते दिखे.
अपने संबोधन में बोले जिनपिंग
इस दौरान लोगों को संबोधित करते हुए चीनी राष्ट्रपति ने कहा कि एशिया को एक-दूसरे से हाथ मिलाने की नीति पर टिके रहना चाहिए, क्योंकि इसी में समझदारी है, न कि सप्लाई चेन तोड़ने की सोच पर. इतना ही नही बल्कि उन्होंने पश्चिमी देशों द्वारा फैक्ट्रियों को चीन से बाहर ले जाने की कोशिशों पर अप्रत्यक्ष रूप से कड़ी टिप्पणी की. उन्होंने ये भी कहा कि “हमें औद्योगिक आपूर्ति श्रृंखलाओं को मजबूत करना चाहिए, उन्हें तोड़ना नहीं.”
चीनी राष्ट्रपति ने अमेरिका पर साधा निशाना
इसके साथ ही व्यापारिक नेताओं के लिए जारी एक अन्य भाषण में, जिसे उनके प्रतिनिधि ने पढ़ा, ऐसे में चीनी राष्ट्रपति ने संयुक्त राज्य अमेरिका पर अप्रत्यक्ष निशाना साधा और कहा कि APEC देशों को संरक्षणवाद और एकतरफा नीतियों का विरोध करना चाहिए और साथ ही “दुनिया को जंगल के कानून की ओर लौटने से बचाना चाहिए.”
इस विमान के निर्माण में अहम भूमिका
प्राप्त जानकारी के अनुसार चीन की कुछ नीतियों ने जिनपिंग की अपील को कमजोर किया है. बता दें कि कुछ ही समय पहले बीजिंग ने रेयर अर्थ मिनरल्स पर नए निर्यात नियंत्रण प्रस्तावित किए थे, जिसकी वजह से और भी कई अन्य देशों पर असाधारण नियंत्रण मिल जाता. ये खनिज आधुनिक तकनीकों जैसे सेमीकंडक्टर, बैटरी और जेट विमान के निर्माण में अहम भूमिका निभाते हैं. जानकारी के मुताबिक, दुनिया की लगभग 90% सप्लाई पर चीन का दबदबा है.
जानकारी देते हुए बता दें कि ट्रंप से मुलाकात के बाद, चीन ने इन नियंत्रणों को अस्थायी रूप से रोकने पर सहमति जताई. माना जा रहा है कि दोनों नेताओं के बीच यह बैठक एक तरह के कूटनीतिक युद्धविराम में बदली और ट्रंप ने शी की स्थिरता की सराहना की.
शी जिनपिंग-साने ताकाइची की हुई मुलाकात
वही इस बैठक के बाद जिनपिंग का सामना जापान की नई प्रधानमंत्री साने ताकाइची से हुआ, जो कि चीन की मुखर आलोचक मानी जाती हैं. जानकारी देते हुए बता दें कि ताकाइची ने शी के साथ मुलाकात में रेयर अर्थ निर्यात नियंत्रण, पूर्वी चीन सागर में विवाद, और जासूसी आरोपों में हिरासत में लिए गए जापानी नागरिकों के मुद्दे उठाए और कहा कि जापान को दक्षिण चीन सागर में चीन के सैन्य विस्तार, हांगकांग और शिनजियांग में मानवाधिकार उल्लंघन को लेकर गंभीर चिंता है. उनका कहना है कि “हमारे बीच मतभेद जरूर हैं, लेकिन इन्हीं मुद्दों पर खुलकर और सीधे बातचीत जरूरी है.”
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