Raksha Bandhan 2023: रक्षाबंधन पर यहां कोई बहन नहीं बांधती है राखी, जानिए ‘काले दिन’ का पृथ्वीराज चौहान से कनेक्शन?

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Raksha Bandhan 2023: देश में बड़े धूम-धाम से रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जा रहा है. इन सबके बीच उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद का एक ऐसा गांव है, जहां राखी का त्योहार नहीं मनाया जाता है. रक्षाबंधन के दिन कोई बहन भाई को राखी नहीं बांधती है. केवल इतना ही नहीं राखी को ‘काला दिन’ के रुप में मनाया जाता है. ये गांव है गाजियाबाद के मुरादनगर का सुराना गांव. यहां राखी पर भाई की कलाई सूनी रहती हैं और बहनों को तोहफे भी नहीं मिलता.

पहले गांव का था सोनगढ़
आपको बता दें कि राखी को काले दिवस के रूप में मनाने के पीछे सैकड़ों साल पुरानी कहानी भी है. गांव के लोगों की मानें, तो ये दिन उनके लिए अपशकुन लाता है. लोगों ने बताया जाता है कि इस गांव में छाबड़िया गोत्र के चंद्रवंशी अहीर क्षत्रिय रहते हैं. ये लोग राजस्थान के अलवर से यहां पहुंचे और गांव को बसाया था. तब गांव का नाम सोनगढ़ था.

रक्षाबंधन वाले दिन गांव हाथियों से कराया गया था तांडव
ग्रामीणों की मानें, तो कई वर्षों पहले राजस्थान से पृथ्वीराज चौहान के वंशज सोन सिंह यहां आए थे. वह हिंडन नदी के किनारे बस गए. मोहम्मद गोरी को जब इस बात की जानकारी हुई, तो उसने कत्ल-ए-आम मचाने की ठान ली. इसके बाद मोहम्मद गोरी ने सेना के साथ कई हाथी भेजे और गांव के लोगों को पैरों तले कुचलवा दिया. इसके बाद पूरे गांव में मातम पसर गया. इस तबाही से पूरा गांव खत्म हो गया. आपको बता दें कि मोहम्मद गोरी इस क्रूरता के लिए रक्षाबंधन का दिन चुना था. इसके बाद सुराना गांव में रक्षाबंधन नहीं मनाया जाता है.

रक्षाबंधन मनाने पर होता था अपशकुन
इस घटना के बाद गांव में आज तक रक्षाबंधन का त्योहार नहीं मनाया. कई बाद नई पीढ़ी के लोगों ने अपशकुन को न मानते हुए रक्षाबंधन मनाने का प्रयास किया, तो अनिष्ट ही हुआ. रक्षाबंधन मनाने पर परिवार में किसी की मौत हो गई या अचानक लोगों की तबीयत खराब होने लगी. ये घटनाएं कम होने के बजाए बढ़ने लगीं, तब से लोगों ने राखी का त्योहार मनाना बंद कर दिया. इसके बाद रक्षाबंधन का त्योहार मनाने वाले लोगों ने कुलदेवता से माफी मांगी. उन्होंने प्रण किया की दोबारा राखी का त्योहार नहीं मनाएंगे. स्थानीय लोगों की मानें तो सुराना गांव के लोगों को श्राप मिला है. अगर कोई बहन राखी बांधती है, तो गांव में दोबारा मुसीबत आ जाती है.

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