Bihar Political Crisis: उत्तर भारत में भले सर्दियों का सितम हो, लेकिन बिहार में सियासी पारा अपने चरम पर है. नीतीश कुमार के तेवर लगातार बदल रहे हैं. नीतीश के बदलाव से एक बात तो साफ है कि राज्य में जदयू और राजद की सरकार महज कुछ समय तक ही है. बिहार में किसी बड़े राजनीतिक उलटफेर को लेकर चर्चाएं तेज हैं. पटना में विधायकों की बैठक बुलाई गई है. नीतीश अपने करीबियों के साथ बैठक कर रहे थे. दूसरी ओर लालू प्रसाद यादव भी अपने करीबियों के साथ बैठक कर रहे थे. उधर बीजेपी आलाकमान ने बिहार के पार्टी नेताओं को दिल्ली बुला लिया है. बताया जा रहा है कि जिन लोगों को बीजेपी ने दिल्ली बुलाया है, उनमें प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी और सुशील मोदी शामिल हैं.
आज तड़के सुबह जानकारी सामने आई कि नीतीश कुमार बिहार के पूर्णिया में होेने वाली रैली में शामिल नहीं होंगे. इसके बाद अटकलें लगाई जाने लगीं कि बिहार की राजनीति में और इंडिया गठबंधन में सब कुछ ठीक नहीं है. शाम को अचानक पटना में बैठकों का दौर शुरू हो गया है. इसके बाद कई कयास लगाए जा रहे हैं. आपको बता दें कि भले ही नीतीश कुमार राहुल गांधी की रैली में ना शामिल हुए हों, लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि बिहार के सीएम नीतीश कुमार 4 फरवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली में शामिल हो सकते हैं. इससे एक बात तो साफ है कि बीजेपी और जेडीयू में कोई ना कोई बात हो रही है.
आपको बता दें कि 2020 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को जेडीयू से करीब दोगुने अधिक सीट हासिल हुए थे, बावजूद इसके भाजपा ने बड़ा दिल दिखाया और नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री बनाया. 2 साल अभी बीते ही थे कि नीतीश कुमार का एनडीए से मोह भंग हो गया और उन्होंने राजद के साथ जाकर सरकार बना ली. इसके बाद नीतीश कुमार मुख्यमंत्री और तेजस्वी यादव डिप्टी सीएम बने.
मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि नीतीश कुमार मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देकर विधानसभा भंग करने की सिफारिश कर सकते हैं. कई मीडिया रिपोर्ट्स में यह भी दावा किया गया है कि नीतीश कुमार को मोदी सरकार में मंत्री बनाया जा सकता है और बिहार में मुख्यमंत्री पद भाजपा के हिस्से में आएगा. वहीं, कुछ राजनीतिक जानकारों का कहना है कि भाजपा की ओर से दो डिप्टी सीएम पद ऑफर करने की भी खबरें आ रही हैं. नीतीश कुमार मुख्यमंत्री का पद अपने पास ही रखना चाहते हैं. अगर बिहार में नीतीश कुमार एनडीए में आते हैं तब देखने वाली बात होगी कि किस रास्ते पर भाजपा और जेडीयू के वरिष्ठ नेता मामला ठीक करते हैं.
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