लता दीदी का वो गाना जिसके बिना अधूरा है स्वतंत्रता दिवस का पर्व, सिगरेट की डिब्बी से है कनेक्शन

Divya Rai
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Content Writer The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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Independence Day 2024 Special: इस साल भारत अपना 78वां स्वतंत्रता दिवस मनाने जा रहा है. आजादी का ये पर्व हर भारवासियों के लिए गर्व का प्रतिक है. आज की युवा पीढ़ी ने भले ही आजादी और बंटवारे की उस स्थिति को न देखा हो, उस संघर्ष को न देखा हो, लेकिन हमने हिंदी सिनेमा की देशभक्ति फिल्मों को देखा है और उस दर्द और खुशी की भावना को एक साथ महसूस जरुर किया है. आज भी ‘ऐ मेरे वतन के लोगों’ गाना देशवासियों के दिल में जोश भर देता है. ऐसे में आज हम आपको इस गाने से जुड़ी कुछ रोचक बातें बताएंगे.

इस गाने का सिगरेट की डिब्बी से कनेक्शन

चाहे मनोज कुमार की कोई देशभक्ति फिल्म हो या फिर उनके गाने, या फिर लता दी का पॉपुलर देशभक्ति गीत ‘ऐ मेरे वतन के लोगों’. ये आपको देश भक्ति की भावना से ओतप्रोत कर देंगे. शहीदों के बलिदान, आजादी के लिए लड़ाई और बंटवारे के उस दंश को झेलने का दुख, इन सब को समर्पित ये गीत आपको झंझोर कर रख देगा. पर क्या आपको पता है इस देशभक्ति गाने का सिगरेट की डिब्बी से क्या कनेक्शन है अगर नहीं तो हम आपको बताएंगे.

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कवि प्रदीप की कलम से निकला ये गीत

60 साल पहले यानि 1963 में लिखे इस गीत को कवि प्रदीप ने लिखा था. आपको बता दें 1962 में भारत-चीन युद्ध में जब भारत हार गया था, तब कवि प्रदीप से युद्ध के बाद आए 26 जनवरी पर दिल्ली में होने वाले समारोह के लिए एक देशभक्ति गीत को लिखने को कहा गया था. जिसे उन्होंने इस कदर लिखा कि आज भी इस गाने के बिना आजादी का पर्व कुछ अधूरा सा लगता है.

तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा था स्टेडियम

इस गाने में चार चांद लगाने का काम किया स्वर कोकिला लता दीदी ने. बता दें जब तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के सामने ये गाना दिल्ली के नेशनल स्टेडियम में गाया गया था, उस वक्त पूरा स्टेडियम तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा था. 26 जनवरी 1963 को इस गाने को सुनने के बाद लोगों की आखों से आंसू बहने लगे थे.

सिगरेट की डिब्बी पर लिखी लाइनें

आपको बता दें जब प्रदीप से इस गाने के बारे में पूछा गया तब उन्होंने इस गाने से जुड़ी एक दिलचस्प कहानी बताई. उन्होंने बताया कि वो इस जिम्मेदारी को लेकर काफी सीरीयस हो गए थे. समंदर किनारे लहरों को निहारते हुए उनके जहन में एक प्यारी सी लाईन आई, लेकिन उस वक्त प्रदीप के पास कागज नहीं था, लेकिन एक सिगरेट की डिब्बी जरुर थी. प्रदीप ने सिगरेट की डिब्बी के अंदर रहने वाले कागज पर फट से उन लाइनों को लिख लिया और इस गाने ने क्या कमाल किया ये बताने की या फिर ये गाना किसी परिचय का मोहताज नहीं है.

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