एशिया को बारूद का ढेर बना रहा US… खुलकर आमने-सामने आए चीन-अमेरिका, किसी भी वक्त भड़क सकती है युद्ध की चिंगारी

Aarti Kushwaha
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Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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US-China Relations: अमेरिका और चीन के बीच टकराव अब केवल विचारों की लड़ाई नहीं रह गया, यह सुरक्षा, व्यापार और कूटनीति के हर स्तर पर बढ़ता जा रहा है. एशिया-प्रशांत क्षेत्र इस समय एक ऐसे मोड़ पर खड़ा है, जहां एक चिंगारी किसी बड़े युद्ध का कारण बन सकती है. इसी बीच अमेरिका के रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ ने अपने एक बयान में चीन को असली खतरा बताते हुए उसे वैश्विक स्थिरता के लिए चुनौती बताया था, जिसके बाद चीन भड़का हुआ है.

चीन ने पीट हेगसेथ के बयानों पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए अमेरिका पर शीत युद्ध की मानसिकता अपनाने, एशिया को अस्थिर करने और सैन्य संघर्ष की नींव रखने का आरोप लगाया है. साथ ही उन्‍होंने ये भी कहा कि अमेरिका इस क्षेत्र को बारूद का ढेर बना रहा है और शांति की बात करते हुए युद्ध की भूमिका तैयार कर रहा है.

चीन ने हेगसेथ को बताया भड़काऊ

दरअसल, सिंगापुर में आयोजित शांग्री-ला डायलॉग में अमेरिकी रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ ने अमेरिका और उसके सहयोगियों के लिए चीन को बड़ा खतरा बताया. उन्‍होंने कहा कि चीनी सेना असली जंग की तैयारी कर रही है और ताइवान के खिलाफ उसकी आक्रामकता तेजी से बढ़ रही है. अमेरिकी रक्षा मंत्री के इस बयान पर चीन ने कड़ी प्रतिक्रिया दी. उसने कहा कि हेगसेथ का बयान उकसावे और भड़कावे से भरा हुआ था, जो एशिया को दो धड़ों में बांटकर टकराव को बढ़ावा दे रहा है.

चीन ने ताइवान को बताया अपना आतंरिक मामला

चीनी विदेश मंत्रालय ने अपने एक बयान में स्‍पष्‍ट रूप से कहा है कि यदि दुनिया में कोई हेजेमोनिक पावर है, तो वह है अमेरिका. चीनी रक्षा मंत्री ने अमेरिका पर आरोप लगाते हुए कहा कि वह दक्षिण चीन सागर में हथियार तैनात कर शांति भंग कर रहा है और ताइवान मुद्दे को भड़काकर क्षेत्र को बारूद के ढेर में बदल रहा है. साथ ही उन्‍होंने से भी कहा कि ताइवान पूरी तरह से उसका आंतरिक मामला है और अमेरिका को ‘आग से खेलने’ की कोशिश नहीं करनी चाहिए.

व्यापार से लेकर शीत युद्ध की भी गूंज

बता दें कि सुरक्षा मंच के अलावा, व्‍यापारिक मोर्चे पर भी दोनों देशों के बीच अभी तक तनाव कम नहीं हुए है. ट्रंप सरकार द्वारा लगाए गए भारी टैरिफ्स में भलें ही चीन को अस्थायी राहत मिली है, लेकिन दोनों देशों के बीच अविश्वास बना हुआ है. दरअसल, हाल ही में अमेरिकी राष्‍ट्रपति ने सोशल मीडिया पर चीन पर एक समझौता तोड़ने का आरोप लगाते हुए कहा कि अब अमेरिका ‘नरम’ नहीं रहेगा.

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