Indian Oil Corporation: इंडियनऑयल कॉरपोरेशन (IOC) ने स्वच्छ ऊर्जा की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है. दरअसल IOC ने दिल्ली के पास बसे पानीपत रिफाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल कॉम्प्लेक्स में 10,000 टन प्रति वर्ष क्षमता वाला ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन संयंत्र स्थापित करने की घोषणा की है.
बता दें कि यह ग्रीन हाइड्रोजन प्लांट अब तक का भारत का सबसे बड़ा ग्रीन हाइड्रोजन प्रोजेक्ट होगा, जिसके बनने से कार्बन उत्सर्जन में भारी कमी आएगी. सरकारी स्वामित्व वाली इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन ने हरियाणा में अपनी पानीपत रिफाइनरी और पेट्रोकेमिकल कॉम्प्लेक्स में हाइड्रोजन की स्तरीय लागत को अंतिम रूप दे दिया है.
भारत की स्वच्छ ऊर्जा महत्वाकांक्षाओं को मिलेगा बढ़ावा
इस प्लांट के जरिए भारत की स्वच्छ ऊर्जा महत्वाकांक्षाओं को बढ़ावा मिलेगा. वहीं, फर्म ने अपने एक बयान में कहा है कि “यह भारत की अब तक की सबसे बड़ी ग्रीन हाइड्रोजन परियोजना के साथ ग्रीन हाइड्रोजन क्षेत्र में इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन के प्रवेश को चिह्नित करता है.” हालांकि, इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन ने इस प्रोजेक्ट की लागत और अन्य वित्तीय विवरण संबंधी कोई भी जानकारी नहीं दी है.
2027 के अंत तक शुरू होगा प्लांट का संचालन
कंपनी का कहना है कि 2027 के अंत तक ग्रीन हाइड्रोजन रिफाइनरी चालू होने के लिए तैयार हो जाएगी. यह जीवाश्म से बनने वाली हाइड्रोजन की जगह लेगी, जिसके चलते कार्बन उत्सर्जन में पर्याप्त कमी आएगी.” बता दें कि हाइड्रोजन एक ऐसा ईंधन है, जिसका तेल रिफाइनरियों से लेकर स्टील प्लांट तक के उद्योगों में बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जाता है. यह कारों, ट्रकों, ट्रेनों, जहाजों और यहां तक कि औद्योगिक प्रक्रियाओं को भी ऊर्जा प्रदान कर सकता है. इसे विभिन्न स्रोतों से उत्पादित किया जा सकता है.
पानी से बनती है हाइड्रोजन गैस
आपको बता दें कि ग्रीन हाइड्रोजन, हाइड्रोजन गैस है जो सौर, पवन या जल विद्युत जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के उपयोग से पानी को विभाजित करके बनाई जाती है, जो जलने पर सिर्फ पानी ही पैदा करती है, जिसे प्रदुषण में कमी किया जा सकेगा. आईओसी ने कहा कि पानीपत परियोजना राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन के लिए सरकार के दृष्टिकोण के साथ पूरी तरह से संरेखित है और कंपनी के डीकार्बोनाइजेशन रोडमैप के तहत एक रणनीतिक पहल के रूप में खड़ी है.
उन्होंने आगे कहा कि यह कंपनी के शुद्ध शून्य कार्बन उत्सर्जन लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में एक प्रमुख मील का पत्थर भी है, जो भारत के सतत ऊर्जा भविष्य में ग्रीन हाइड्रोजन रिफाइनरी के नेतृत्व को मजबूत करता है.
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