चालू वित्त वर्ष में 9-11% बढ़ेगी भारत की उभरती हुई विविध निर्माण कंपनियों की आय: Report

Shivam
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Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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भारत की उभरती हुई विविध निर्माण कंपनियों की आय मौजूदा वित्त वर्ष में 9-11% बढ़ सकती है. यह जानकारी एक नई रिपोर्ट में मंगलवार को दी गई. क्रिसिल रेटिंग्स (CRISIL Ratings) की ओर से संकलित किए गए डेटा में जानकारी दी गई कि बीते पांच वर्षों में इन कंपनियों की औसत वार्षिक आय में लगभग 15% की वृद्धि हुई है. क्रिसिल रेटिंग के वरिष्ठ निदेशक राहुल गुहा (Rahul Guha) ने कहा कि सरकार बुनियादी ढांचे पर ध्यान केंद्रित कर रही है और फंडिंग तक बेहतर पहुंच क्षेत्र के विकास का समर्थन कर रही है. उनहोंने कहा कि इन कंपनियों का मुनाफा सालाना आधार पर सपाट रहेगा, क्योंकि इस सेगमेंट के भीतर प्रतिस्पर्धा तेज हो रही है.

क्‍या बोले क्रिसिल रेटिंग के निदेशक हिमांक शर्मा? 

क्रिसिल रेटिंग के निदेशक हिमांक शर्मा (Himank Sharma) ने कहा कि ये कंपनियां उपकरणों में निवेश कर रही हैं और उच्च कार्यशील पूंजी की जरूरतों का सामना कर रही हैं, लेकिन उनकी बैलेंस शीट मजबूत बनी हुई हैं और क्रेडिट प्रोफाइल स्थिर हैं. रिपोर्ट में बताया गया कि विकास परियोजनाओं की एक स्वस्थ पाइपलाइन बनी हुई है और कंपनियों द्वारा ऑर्डर्स का समय पर एग्जीक्यूशन किया जा रहा है, जिसने कंपनियों को एक मजबूत ट्रैक रिकॉर्ड बनाने और अपने संचालन का विस्तार करने में मदद की है. इस रिपोर्ट में क्रिसिल ने करीब 200 ऐसी कंपनियों का विश्लेषण किया है, जिन्होंने एक साथ पिछले वित्त वर्ष में करीब 1 लाख करोड़ रुपए कमाए हैं, जो भारत के कुल बुनियादी ढांचे के खर्च का करीब 10% है. इन कंपनियों की ऑर्डर बुक मजबूत बनी हुई हैं, जो बैकलॉग के साथ वित्त वर्ष 2025 के लिए उनके अपेक्षित राजस्व के आकार से लगभग दोगुना है.
इन कंपनियों के ऑर्डर्स कई सेक्टरों में फैले हुए हैं, जिनमें नागरिक निर्माण और शहरी बुनियादी ढांचा (40%), सड़कें (34%), रेलवे (12%), और जल परियोजनाएं (10%) शामिल हैं. रिपोर्ट में कहा गया कि यह विविधीकरण कंपनियों को किसी भी एक क्षेत्र पर अपनी निर्भरता को कम करने में मदद कर रहा है, खासकर ऐसे समय में जब न्यू रोड प्रोजेक्ट अवार्ड्स धीमा हो गया है. सड़क क्षेत्र में कंपनियों ने पिछले दो वर्षों में इंजीनियरिंग, प्रोक्योरमेंट एंड कंस्ट्रक्शन (ईपीसी) और हाइब्रिड एन्युइटी मॉडल (HAM) दोनों परियोजनाओं में अपनी उपस्थिति बढ़ाई है. इसी समय, रेलवे, इमारतों और शहरी विकास परियोजनाओं पर अधिक सरकारी खर्च ने नए विकास के अवसर प्रदान किए हैं और अपने परियोजना पोर्टफोलियो को संतुलित करने में मदद की है.
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