शुक्रवार को जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार के बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देने के प्रयास ने 88% विनिर्माताओं के पूंजी निवेश निर्णयों को सीधे तौर पर प्रभावित किया है, जिससे परिचालन बढ़ाने के प्रति आत्मविश्वास में वृद्धि का संकेत मिलता है. भारत का विनिर्माण और लॉजिस्टिक्स पारिस्थितिकी तंत्र महत्वपूर्ण परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है, जो मजबूत नीतिगत समर्थन और बड़े पैमाने पर बुनियादी ढांचे में निवेश से प्रेरित है.
कुशमैन एंड वेकफील्ड की रिपोर्ट, जिसका शीर्षक है, ‘भारत के विनिर्माण लचीलेपन को बढ़ाना: आत्मनिर्भरता की राह तैयार करना’, भारतमाला, सागरमाला, समर्पित माल ढुलाई गलियारे और राष्ट्रीय औद्योगिक गलियारा विकास जैसी सरकार की अगुआई वाली बुनियादी ढांचा पहलों के प्रभाव के बारे में उच्च आशावाद प्रकट करती है. 86% उत्तरदाताओं ने कहा कि इन पहलों ने उनके व्यावसायिक परिचालन को सकारात्मक रूप से प्रभावित किया है, जबकि 95% ने बताया कि इसके परिणामस्वरूप लॉजिस्टिक्स और परिवहन बुनियादी ढांचे तक उनकी पहुंच में सुधार हुआ है.
बड़े उद्यमों के लिए तो इसका प्रभाव और भी अधिक तीव्र है – 94% का कहना है कि ये उन्नयन उनकी विस्तार योजनाओं को आकार देने में महत्वपूर्ण रहे हैं. जहां बुनियादी ढांचे के निर्माण ने औद्योगिक विस्तार के लिए आधार तैयार कर दिया है, वहीं उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (PLI) योजनाएं और ‘मेक इन इंडिया’ जैसी सरकारी नीतियां रणनीतिक प्राथमिकताओं को आकार दे रही हैं. 40% से अधिक उत्तरदाताओं ने कहा कि इन योजनाओं का उनके व्यवसाय पर सबसे अधिक प्रभाव पड़ा है.
इस बीच, रिपोर्ट में कहा गया है कि राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति (NLP) और राष्ट्रीय औद्योगिक गलियारा विकास (NICD) को 54% लोगों ने विशेष रूप से एमएसएमई के लिए लाभकारी बताया, जिनके लिए लॉजिस्टिक्स पहुंच और औद्योगिक पार्क कनेक्टिविटी प्रमुख कारक हैं. उल्लेखनीय बात यह है कि 77% उत्तरदाताओं का मानना है कि व्यापार करने में आसानी बढ़ी है, तथा बड़े पैमाने की कंपनियों में यह आंकड़ा बढ़कर 86 प्रतिशत हो गया है.
कुशमैन एंड वेकफील्ड के कार्यकारी प्रबंध निदेशक (मुंबई और नया कारोबार) गौतम सराफ (Gautam Saraf) ने कहा, “भारत का विनिर्माण क्षेत्र संरचनात्मक बदलाव के दौर से गुजर रहा है। हमारे निष्कर्ष बुनियादी ढांचे में निवेश, नीतिगत स्पष्टता और उद्योग के इरादे के बीच मजबूत तालमेल का संकेत देते हैं.” इस गति को बनाए रखने के लिए, भारत को लागत और क्षमता के गहरे अंतर को दूर करना होगा- विशेष रूप से लॉजिस्टिक्स, एकीकृत सुविधाओं और एमएसएमई उत्पादकता में.
सराफ ने कहा, “प्लग-एंड-प्ले औद्योगिक पार्क, मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक्स नेटवर्क और बेहतर भूमि एकत्रीकरण ढांचे न केवल सक्षमकर्ता हैं, बल्कि वे नीतिगत गति को उत्पादन के लिए तैयार परिणामों में परिवर्तित करने के लिए आवश्यक लीवर हैं.” दीर्घकालिक विकास को समर्थन देने के लिए, रिपोर्ट में पांच-आयामी रणनीति बताई गई है: प्लग-एंड-प्ले औद्योगिक पार्कों के विकास में तेजी लाना; एमएसएमई को परिभाषित करने वाले मापदंडों का पुनर्मूल्यांकन करना; मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक्स पार्कों (MMLP) के क्रियान्वयन में तेजी लाना; लक्षित कौशल विकास कार्यक्रमों में निवेश करना; और एकीकृत डिजिटल प्लेटफार्मों और प्रोत्साहनों के माध्यम से MSME निर्यात को सशक्त बनाना.