दुनिया भर में बसे प्रवासी भारतीयों ने FY25 में 135.46 अरब डॉलर अपने घर भेजे हैं. ये अब तक का सबसे बड़ा आंकड़ा है. आरबीआई (RBI) के ताज़ा आंकड़े बताते हैं कि बीते साल की तुलना में इसमें करीब 14 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है. बता दें, पिछले एक दशक से अधिक समय से प्रवासियों के द्वारा धन प्राप्त करने के मामले में भारत सबसे आगे रहा है. 2016-17 में जहां यह 61 बिलियन डॉलर था. वहीं, अब पिछले 8 सालों में यह दोगुना से भी अधिक हो गया है.
आरबीआई के अनुसार, अमेरिका, ब्रिटेन और सिंगापुर जैसे विकसित देशों से भेजे गए प्रेषण का हिस्सा सबसे ज्यादा है. कुल प्रेषण का लगभग 45 प्रतिशत हिस्सा इन्हीं तीन देशों से आया. वहीं, खाड़ी सहयोग परिषद के देशों जैसे सऊदी अरब, कुवैत, ओमान वगैरह से आने वाले पैसों की हिस्सेदारी पहले से कम हो रही है. इसकी एक बड़ी वजह ये मानी जा रही है कि अब अधिकतर कुशल भारतीय श्रमिक अमेरिका और यूरोप की ओर जा रहे हैं.
आईडीएफसी फर्स्ट बैंक की मुख्य अर्थशास्त्री गौरा सेनगुप्ता (Gaura Sengupta) कहती हैं, “तेल की कीमतें भले ही गिरी हों, लेकिन भारत में आने वाला पैसा लगातार बढ़ रहा है. इसका सीधा मतलब है कि विदेशों में भारत का कुशल और पढ़ा-लिखा वर्कफोर्स मज़बूत हो रहा है और अच्छी कमाई कर रहा है.” आपको जानकर हैरानी होगी कि विदेशों से भारत में भेजा गया ये पैसा, यानी रेमिटेंस, कई बार भारत में आने वाले प्रत्यक्ष विदेशी निवेश से भी ज़्यादा होता है. एक तरह से देखा जाए, तो ये भारत की अर्थव्यवस्था के लिए एक भरोसेमंद सपोर्ट बन चुका है.
आरबीआई के अनुसार, इस साल भारत का कुल चालू खाता प्रवाह करीब 1 ट्रिलियन डॉलर का रहा, जिसमें रेमिटेंस की हिस्सेदारी 10% से भी ज़्यादा रही. वहीं, सॉफ्टवेयर और प्रोफेशनल सेवाओं से भी भारत को 100-100 अरब डॉलर से ज़्यादा की कमाई हुई. एक और दिलचस्प बात ये है कि भारत उन देशों में शामिल है जहां महज 200 डॉलर भेजने की लागत दुनिया के बाकी देशों की तुलना में सबसे कम है.
यही वजह है कि प्रवासी भारतीय बिना ज़्यादा सोचे-समझे अपने परिवार को पैसा भेजते हैं. वहीं अगर दुनिया भर की बात करें तो भारत इस वक्त रेमिटेंस पाने वाला नंबर वन देश है. दूसरे नंबर पर है मेक्सिको, जहां करीब 68 अरब डॉलर का प्रवाह हुआ, जबकि चीन इस मामले में तीसरे नंबर पर है, जहां 48 अरब डॉलर की रकम भेजी गई.