Ursula Von Der Leyen: यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन की मुश्किलें काफी बढ़ गई हैं. दरअसल, लेयेन पर कोविड टीकों के खरीद मामले और रोमानिया के राष्ट्रीय चुनाव में हस्तक्षेप करने का आरोप लगा है, जिसके बाद लेयेन के खिलाफ दक्षिणपंथी यूरोपीय सांसदों ने अविश्वास प्रस्ताव पेश किया है.
लेयेन के खिलाफ इस प्रस्ताव मतदान की तिथि तय करने के लिए करीब 72 सांसदों के हस्ताक्षर हो चुके है. ऐसे में अब सोमवार को संसद में बहस होगा और 10 जुलाई को मतदान होगा. वहीं, कयास लगाए जा रहे है कि ये अविश्वास प्रस्ताव के असफल हो सकता है. क्योंकि पिपेरेया की अपनी ही पार्टी ईसीआर ने पहले ही अविश्वास प्रस्ताव से खुद को अलग कर लिया है. पार्टी के प्रवक्ता ने कहा कि यह हमारी पहल नहीं है.
प्रस्ताव को पारित कराने के लिए 361 वोटों की आवश्यकता
दरअसल, अविश्वास प्रस्ताव लाने वाले रोमानिया एमईपी घोरघे पिपेरेया ने कोविड के दौरान फाइजर की सीईओ अल्बर्ट बौर्ला के साथ चैट को लेकर वॉन डेर लेयेन की पारदर्शिता की कमी की आलोचना की. उन्होंने यूरोपीय आयोग पर रोमानिया के राष्ट्रपति चुनाव में हस्तक्षेप करने का भी आरोप लगाया. बता दें कि इस प्रस्ताव को पारित कराने के लिए पूर्ण बहुमत यानि 720 में 361 वोटों की जरूरत होगी.
2021 में मांगे गए थें विवरण
बता दें कि साल 2024 में उर्सुला वॉन डेर लेयेन यूरोपीय आयोग की दूसरी बार अध्यक्ष बनीं थीं. वहीं, इससे पहले उनके पहले कार्यकाल के दौरान साल 2021 में यूरोपीय संसद के कुछ सदस्यों ने यूरोपीय आयोग से कोविड टीकों को लेकर समझौतों का पूरा विवरण मांगा था, लेकिन आयोग केवल कुछ अनुबंधों और दस्तावेजों तक आंशिक पहुंच प्रदान करने के लिए सहमत हुआ, जिन्हें संशोधित संस्करणों में ऑनलाइन रखा गया था.
टीका मामले में आयोग ने जानकारी देने से किया इंकार
हालांकि इस दौरान आयोग ने यह बताने से भी इनकार कर दिया कि उसने अरबों खुराकों के लिए कितना भुगतान किया, यह तर्क देते हुए कि गोपनीयता कारणों से अनुबंधों को संरक्षित किया गया था. ऐसे में यूरोपीय संघ की अदालत ने कहा था कि यूरोपीय आयोग ने महामारी के दौरान दवा कंपनियों के साथ किए गए कोविड-19 वैक्सीन खरीद समझौतों के बारे में जनता को पर्याप्त जानकारी नहीं दी.
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