भारत में बिजली की मांग जून में सालाना आधार पर 1.9% घटकर 150 अरब यूनिट (BU) रह गई, यह लगातार दूसरा महीना है, जब बिजली की मांग में कमी देखने को मिली है. इसकी वजह सामान्य से अधिक मानसूनी वर्षा के कारण देश के अधिकांश हिस्सों में तापमान कम होना है. क्रिसिल द्वारा बुधवार को जारी की गई रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई. रिपोर्ट में बताया गया कि भारत में 1 से 25 जून के बीच लंबी अवधि के औसत की तुलना में 7% अधिक वर्षा हुई.
पिछले मानसून में इसी अवधि में 11% कम वर्षा हुई थी. रिपोर्ट के मुताबिक, रियल-टाइम मार्केट (Real-Time Market) में एवरेज मार्केट क्लियरिंग प्राइस (Average Market Clearing Price) जून में 26% घटकर 3.73 रुपए प्रति यूनिट रह गया, जो कम बिजली की आवश्यकता और पर्याप्त उपलब्धता को दर्शाता है. मांग की कमी के चलते जून में बिजली उत्पादन भी 0.8% कम होकर 161 बीयू हो गया है.
रिपोर्ट के अनुसार, उत्तरी क्षेत्र में बिजली की मांग में सालाना आधार पर 5% की कमी आई है, जबकि जून 2024 में इसमें 23% की वृद्धि हुई थी. रिपोर्ट में कहा गया, उत्तर-पश्चिम क्षेत्र में वर्षा सामान्य से 37% अधिक थी, जबकि जून 2024 में लू चली थी और वर्षा सामान्य से 33% कम थी. हालांकि, दक्षिणी क्षेत्र में बिजली की मांग में पिछले वर्ष की तुलना में 5.3% की वृद्धि हुई, जो इस जून में दक्षिणी प्रायद्वीप में 5% की वर्षा की कमी के अनुरूप है.
इस वर्ष, दक्षिण-पश्चिम मानसून ने सामान्य तिथि 8 जुलाई के बजाय 29 जून तक पूरे देश को कवर कर लिया था. उन्होंने कहा, हालांकि बारिश ने बिजली की मांग में वृद्धि को सीमित कर दिया, लेकिन विनिर्माण गतिविधि ने समर्थन प्रदान किया हैं. भारत में बिजली उत्पादन के लिए कोयला अभी भी मुख्य ईंधन है. 30 जून तक, ताप विद्युत संयंत्रों के पास 62 मिलियन टन (एमटी) कोयले का भंडार था, जो अप्रैल 2021 के बाद का उच्चतम स्तर है. एक साल पहले यह भंडार 47 मिलियन टन था.