Operation Sindoor: भारत और पाकिस्तान के बीच हाल ही में हुए झड़प के बाद आतंकवाद के खिलाफ भारत ने अपनी रणनीति में बड़ा बदलाव किया है, जिसका सबूत भारतीय सेना का ऑपरेशन सिंदूर है. दरअसल, पहलगाम आतंकी हमले को लेकर रक्षा विशेषज्ञ जॉन स्पेंसर ने सोशल मीडिया पर एक लेख लिखा है,जिसमें उन्होंने कहा कि अब भारत आतंकवाद के खिलाफ सख्त और स्पष्ट कार्रवाई करता है, जिसका मकसद भविष्य में ऐसे हमलों को रोकना है.
भारत की आतंकरोधी रणनीति में बड़ा बदलाव
अपने लेख में जॉन स्पेंसर ने लिखा कि’पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत की प्रतिक्रिया में सैन्य सटीकता और रणनीतिक संदेश का संयोजन था. इस दौरान पाकिस्तान में आतंक के बुनियादी ढांचे को निशाना बनाया गया, जिसमें सीमा पार प्रशिक्षण शिविर शामिल थे. ऑपरेशन सिंदूर की खास बात ये है कि भारतीय नेताओं ने इस हमले की व्यापकता को समझा और उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि आतंकवाद को अब अलग-थलग कृत्यों के रूप में नहीं देखा जाएगा, और जो लोग हिंसा का समर्थन या आतंकियों की मदद करते हैं, उन्हें भी जवाबदेह ठहराया जाएगा. और यही सोच भारत के आतंकवाद-रोधी रणनीति में एक महत्वपूर्ण बदलाव को दर्शाता है.’
उन्होंने कहा कि ‘वर्षों तक, भारत ने बिना किसी खास रणनीति के बड़े हमलों को झेला. लेकिन उरी और पुलवामा हमलों के बाद भारत की सोच में बदलाव शुरू हुआ. अब भारत तनाव बढ़ाने के लिए नहीं, बल्कि भविष्य में हिंसा को रोकने के लिए तेजी से और स्पष्ट रूप से प्रतिक्रिया देता है.’
20 वर्षों में भारत ने झेले कई आतंकी हमले
‘बीते बीस साल से अधिक समय से भारत को पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूहों के हमलों का बार-बार सामना करना पड़ा है, जो एक पूरी सोची समझी रणनीति के तहत किए गए. पड़ोसी मुल्क की ओर से किए गए ये हमले अक्सर संकट को भड़काने, आर्थिक प्रगति को रोकने और धार्मिक तनाव को भड़काने के लिए किए गए.
सभी आतंकी हमलों में अपनाएं गए एक ही पैटर्न
पाकिस्तान की ओर से किए गए प्रमुख आतंकी घटनाओं में 2001 में भारत की संसद पर हमला, 2008 के मुंबई हमला, 2016 में कश्मीर के उरी में एक सैन्य अड्डे पर हमला और 2019 में पुलवामा में भारतीय अर्धसैनिक बलों पर आत्मघाती हमला शामिल हैं. इन सभी घटनाओं में एक ही रणनीति अपनाई गई, जिसके तहत नागरिक या सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया गया और हमले के जिम्मेदार लोगों द्वारा इनकार या टालमटोल का रवैया अपनाया गया. वही, अब 22 अप्रैल को पहलगाम में हुआ नरसंहार भी इसी पैटर्न से मेल खाता है. ‘
कश्मीर में अराजकता फैलाना उद्देश्य
पहलगाम हमले को लेकर स्पेंसर ने कहा कि यह मनोवैज्ञानिक और राजनीतिक प्रभाव के लिए डिजाइन किया गया था. यह एक सोची-समझी कार्रवाई थी,जिसका मकसद- सामाजिक शांति को तोड़ना, आर्थिक प्रगति को बाधित करना और एक व्यापक संकट को भड़काना था. यह कश्मीर को अस्थिर करने की कार्रवाई थी, खासकर ऐसे में समय में जब क्षेत्र विकास की राह पर आगे बढ़ रहा है.
कश्मीर में स्थिरता चरमपंथी समूहों के लिए खतरा
बता दें कि जम्मू-कश्मीर से साल 2019 में अनुच्छेद 370 हटने के बाद यहां पिछले वर्ष 2.3 करोड़ से अधिक पर्यटक पहुंचे. इसके अलावा, कश्मीर में सड़कों, स्कूलों और व्यवसायों का विस्तार हुआ है. जो कभी उग्रवाद का प्रतीक था,वह निवेश का केंद्र बन गया. इस प्रकार की स्थिरता उन चरमपंथी समूहों के लिए सीधा खतरा है जो अपने अस्तित्व को सही ठहराने के लिए अराजकता पर निर्भर हैं.
डर और अराजकता फैलाकर दुनिया का ध्यान आकर्षित करने की कोशिश
रक्षा विशेषज्ञ ने कहा कि पहलगाम आतंकी हमले का उद्देश्य केवल लोगों की हत्या करना नहीं था,बल्कि सांप्रदायिक तनाव को फिर से भड़काना था. उन्होंने डर और अराजकता फैलाकर पूरी दुनिया का ध्यान आकर्षित करने की कोशिश की. पहलगाम में हुआ ये हमला दुनिया भर में आतंकवाद की कई बड़ी आतंकी घटनाओं की याद दिलाता है, जैसे यूरोप में आईएसआईएस के हमले, 7 अक्टूबर, 2023 को हमास द्वारा इजरायल पर हमले. क्योंकि इन सभी हमलों में रणनीति वहीं है- डर पैदा करना, लोगों को भड़काना और प्रगति की कहानी को पटरी से उतारना.
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