रूस के तेल उद्योग पर हमले की तैयारी में अमेरिका; नाटो महासचिव से मिलेंगे ट्रंप, पुतिन की बढ़ सकती है टेंशन

Aarti Kushwaha
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Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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Donald Trump: नाटो महासचिव मार्क रुत इस हफ्ते अमेरिकी दौरे पर जाएंगे, जहां वो राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात कर सकते है. इसके अलावा, अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो, रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ और कांग्रेस के अन्य सदस्यों से भी मिल सकते है. बताया जा रहा है नाटो महासचिव सोमवार को अमेरिका पहुंचेंगे और मंगलवार को डोनाल्‍ड ट्रंप से मुलाकात करेंगे.

आगामी दिनों में रूस यूक्रेन जंग होगा और भी भीषण  

नाटो महासचिव और ट्रंप की यह मुलाकात ऐसे समय हो रही है, जब राष्ट्रपति ट्रंप ने हाल ही में ऐलान किया है कि वे नाटो सहयोगियों को हथियार बेचने की योजना बना रहे हैं और नाटो सहयोगी देश इन हथियारों को यूक्रेन को भेज सकेंगे. ऐसे में कयास लगाए जा रहे है कि आने वाले समय में रूस यूक्रेन जंग और भी भीषण हो सकता है.

अमेरिकी राष्‍ट्रपति के एक शीर्ष सहयोगी, दक्षिण कैरोलिना से रिपब्लिकन सीनेटर लिंडसे ग्राहम ने रविवार को बताया कि रूस-यूक्रेन संघर्ष अब एक निर्णायक मोड़ पर पहुंच रहा है, क्योंकि राष्ट्रपति ट्रंप की रूस से लड़ने में यूक्रेन की मदद करने में रुचि बढ़ रही है.

यूक्रेन की रक्षा के लिए रिकॉर्ड स्तर पर हथियारों की आपूर्ति

बता दें कि राष्ट्रपति पद के चुनाव प्रचार के दौरान ट्रंप ने रूस-यूक्रेन युद्ध जल्द से जल्द रुकवाने का वादा किया था, लेकिन अब तक वो अपने इस वादे को पूरा करने में असफल रहे है. ऐसे में ग्राहम ने कहा कि ‘आने वाले दिनों में आप यूक्रेन की रक्षा के लिए रिकॉर्ड स्तर पर हथियारों की आपूर्ति देखेंगे.’ उन्‍होंने ये भी कहा कि इस जंग की शुरुआत से रूस के जो 300 अरब डॉलर की संपत्ति ग्रुप ऑफ सेवन देशों द्वारा जब्त की गई थी, अब उसका इस्तेमाल यूक्रेन की मदद के लिए किया जाएगा.

भारत-चीन जैसे देशों की अर्थव्यवस्थाओं पर होगा असर

वहीं, अमेरिकी राष्‍ट्रपति ने रूस के खिलाफ कड़ा रुख अपनाते हुए रूस से तेल का आयात करने वाले देशों पर अतिरिक्‍त शुल्‍क लगाने की बात कही है. दरअसल, रूस के तेल उद्योग पर वार करने की तैयारी के तहत ट्रंप प्रशासन ने एक विधेयक पेश किया है,  जिसमें रूस से तेल खरीदने वाले देशों पर 500 प्रतिशत तक टैरिफ लगाने का प्रावधान है.

ऐसे में यदि ट्रंप प्रशासन का यह विधेयक पारित हो जाता है तो इससे चीन, भारत और ब्राजील जैसे देशों की अर्थव्यवस्थाओं पर बड़ा असर पड़ेगा. बता दें कि अमेरिका ने पहले ही रूस पर कई प्रतिबंध लगाए हुए हैं, जिससे उसका वित्त, ऊर्जा, परिवहन, प्रौद्योगिकी और रक्षा जैसे क्षेत्र प्रभावित चल रहे हैं.

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