अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने एक बार फिर भारत और पाकिस्तान संघर्ष के बीच हुए सीजफायर का क्रेडिट खुद को दिया हैं. उन्होंने कहा, भारत-पाकिस्तान संघर्ष परमाणु युद्ध में बदल सकता था, लेकिन उन्होंने व्यापार की नीति अपनाई और युद्ध को रोक दिया. डोनाल्ड ट्रंप ने ये बातें ओवल ऑफिस में नाटो के महासचिव मार्क रट के साथ मीटिंग के दौरान कही.
हमने दुनिया में चल रही जंगों को काफी हद तक रोकने में रहे सफल
उन्होंने आगे कहा, हम दुनिया में चल रही जंगों को काफी हद तक रोकने में सफल रहे हैं. चाहे वो भारत-पाकिस्तान हो या रवांडा और कांगो हो. जहां युद्ध 30 सालों से चल रहा था. ट्रंप ने आगे कहा, भारत-पाकिस्तान के बीच संघर्ष जिस गति से आगे बढ़ रहा था, उससे मैं ये दावे के साथ कह सकता हूं कि यह एक हफ्ते के अंदर परमाणु युद्ध में बदल सकता था. उन्होंने दावा किया कि उन्होंने व्यापार के जरिये इस युद्ध को रोक दिया. हमने कहा कि, जबतक इस युद्ध को सुलझा नहीं लोगे हम आपसे व्यापार को लेकर कोई बातचीत नहीं करेंगे. जिसके बाद दोनों देशों ने उनकी बातें मान ली.
10 मई को ट्रंप ने किया था सीजफायर का ट्वीट
बता दें, 6-7 मई के बीच भारत ने पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों को निशाना बनाते हुए ऑपरेशन सिंदूर लॉन्च किया था. जिसमें भारत ने एक के बाद एक पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से लेकर पाकिस्तान के अंदर तक बने आतंकियों के ट्रेनिंग कैंप और लॉन्च पैड पर मिसाइलों से सटीक हमले किये. जिसमें 100 से ज्यादा आतंकी मारे गए. जिसके बाद पाकिस्तान ने भारत पर भी मिसाइलों से हमले शुरू कर दिये. यह संघर्ष 3 दिनों तक चला. तभी 10 मई को सोशल मीडिया पर डोनाल्ड ट्रंप ने ट्वीट कर कहा कि भारत पाकिस्तान के बीच उन्होंने सीजफायर करा दिया है. ट्रंप ने सोशल मीडिया पर लिखा, वॉशिंगटन की मध्यस्थता के चलते भारत और पाकिस्तान तत्काल युद्ध विराम पर सहमत हो गए हैं.
एक दर्जन बार ट्रंप कर चुके हैं दावा
डोनाल्ड ट्रंप ने अपने इस दावे को एक दर्जन से ज्यादा बार दोहराया है. उन्होंने कहा है कि भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध विराम में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. इस दौरान डोनाल्ड ट्रंप अपने लिये शांति का नोबल प्राइज दिये जाने की मांग की.
ट्रंप के दावे को भारत ने बार-बार बताया बेबुनियाद
हालांकि भारत लगातार ट्रंप के इस दावे को बेबुनियाद बताता रहा है. भारत का कहना है कि भारत-पाकिस्तान के बीच चल रहे संघर्ष को खत्म करने की सहमति दोनों सेनाओं के DGMO की बातचीत के बाद बनी थी. वहीं, पीएम मोदी ने भी ट्रंप के साथ बातचीत को लेकर कहा, भारत इस मध्यस्थता को कभी स्वीकार नहीं करता है ना करेगा. यह संघर्षविराम इस्लामाबाद की गुजारिश के बाद भारतीय और पाकिस्तानी सेनाओं के अधिकारियों की बातचीत के बाद खत्म हुआ.