Ajit Rai: सिनेमा के सच्चे साधक और अमर आलोचक की विदाई (एक भावपूर्ण श्रद्धांजलि)

Shivam
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Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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Ajit Rai: आज सिनेमा जगत का एक युग अस्त हो गया है. अजित राय—फिल्म आलोचना के स्तंभ, अंतरराष्ट्रीय सिनेमा के मर्मज्ञ और अनगिनत फिल्मप्रेमियों के मार्गदर्शक—अब हमारे बीच नहीं रहे. लंदन में उनके निधन की खबर ने उनके चाहने वालों, शिष्यों और सिनेमा जगत के लोगों के दिलों में एक गहरा सन्नाटा भर दिया है. वे न सिर्फ एक आलोचक थे, बल्कि एक विचारक, गुरु और सिनेमाई संस्कृति के संवाहक भी थे. उनके जाने से एक ऐसी खालीपन पैदा हो गई है, जिसे भर पाना शायद असंभव होगा.

सिनेमा का एक जीवित विश्वकोश

अजित राय सिर्फ फिल्मों के बारे में लिखने वाले व्यक्ति नहीं थे, वे सिनेमा की जीती-जागती विरासत थे. उनकी आँखों ने दुनिया भर के फिल्म महोत्सवों, कान्स, बर्लिन, वेनिस, टोरंटो, जेद्दाह, ऑस्कर अवार्ड, ग्रैम्मी अवार्ड की झलक देखी थी. उनकी लेखनी में सिनेमा का इतिहास, उसकी बारीकियाँ और उसका सामाजिक प्रभाव साफ झलकता था. वे न सिर्फ बॉलीवुड, बल्कि विश्व सिनेमा के भी गहरे जानकार थे.
उनकी किताब “बॉलीवुड की बुनियाद” (हिंदूजा ब्रदर्स के योगदान पर) ने हिंदी सिनेमा के इतिहास को एक नए नजरिए से देखने का अवसर दिया. इस किताब का अंग्रेजी अनुवाद “हिंदूजास एंड बॉलीवुड” था, जिसे लंदन में अक्षय कुमार ने लॉन्च किया, यह अजित राय के जीवन के सबसे खुशनुमा पलों में से एक था.
उनके एक शिष्य ने भावुक होकर लिखा, “जब उन्होंने मुझे इस किताब का अनुवाद करने का जिम्मा सौंपा, तो उन्होंने मुझे एक ऐसा दायित्व दिया जो जीवनभर का साथी बन गया. मैं हमेशा उनके सिनेमाई विजन को और लोगों तक पहुँचाने की कोशिश करता रहूँगा.”

गुरु, मार्गदर्शक और एक सहयोगी मित्र

अजित राय का व्यक्तित्व इतना विशाल था कि वे सिर्फ आलोचक नहीं, बल्कि एक शिक्षक, संरक्षक और प्रेरणास्रोत भी थे. उनके कई शिष्य आज भी याद करते हैं कि कैसे उन्होंने नए पत्रकारों को प्रोत्साहित किया, उन्हें मौके दिए और उनके करियर को नई दिशा दी.
एक युवा फिल्म पत्रकार ने लिखा, “मैं खुद को यह समझाने की कोशिश कर रहा हूँ कि शायद यह एक बुरा सपना है. अजित सर ने मुझे प्रेस क्लब ऑफ इंडिया का मेंबर बनवाया, बिना किसी हिचकिचाहट के मेरा फॉर्म साइन किया और दूसरे वरिष्ठ पत्रकार से भी सिफारिश करवाई. वे कभी नहीं हिचके जब मुझे सिनेमा, साहित्य, संगीत और कला जगत के बड़े नामों से मिलवाने की बात आई. कोरोना काल में जब मेरा करियर डगमगा रहा था, तब उन्होंने ही मुझे संभाला.” उनकी यही विशेषता थी. वे दूसरों की प्रतिभा को पहचानते थे और उसे निखारने में कोई कसर नहीं छोड़ते थे.

कान्स से लंदन तक: एक अंतरराष्ट्रीय पत्रकार का सफर

अजित राय भारतीय सिनेमा को वैश्विक मंच पर ले जाने वाले पत्रकारों में से एक थे. उनकी कान्स फिल्म फेस्टिवल की कवरेज ने भारतीय मीडिया को एक नई पहचान दी. वे न सिर्फ फिल्मों के बारे में लिखते थे, बल्कि उनकी सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक भूमिका को भी गहराई से समझते थे. उनके लेखन में सिनेमा के प्रति एक अद्भुत समर्पण झलकता था. वे न सिर्फ मुख्यधारा की फिल्मों, बल्कि आर्ट सिनेमा, डॉक्यूमेंट्रीज़ और स्वतंत्र फिल्म निर्माण के भी पैरोकार थे. उनका मानना था कि सिनेमा सिर्फ मनोरंजन नहीं, बल्कि समाज का दर्पण भी है.

सादगी और गरिमा का प्रतीक

अजित राय ने कभी भी शोहरत या दिखावे की दौड़ में हिस्सा नहीं लिया. वे सादगी से रहते थे, पर उनकी उपस्थिति हमेशा प्रभावशाली होती थी. फिल्म फेस्टिवल्स में उनका जाना, फिल्ममेकर्स से उनकी गहन बातचीत और उनकी समीक्षाओं में छुपी सिनेमाई समझ—ये सब उन्हें एक विराट व्यक्तित्व बनाते थे.
उनके एक सहयोगी ने याद किया, “वे हमेशा नए लोगों को प्रोत्साहित करते थे. उनके पास बैठकर बात करना एक क्लास लेने जैसा होता था. वे सिनेमा के बारे में इतना जानते थे कि उनकी हर बात से कुछ नया सीखने को मिलता.”

अंतिम विदाई: एक युग का अंत

आज जब वे हमारे बीच नहीं हैं, तो सिनेमा जगत ने एक ऐसा स्तंभ खो दिया है जिसकी कमी कभी पूरी नहीं होगी. उनके शिष्य, सहयोगी और प्रशंसक उन्हें याद कर रहे हैं— “वे सिर्फ एक आलोचक नहीं, बल्कि सिनेमा के प्रति एक जुनून थे. उनके जाने से एक खालीपन सा हो गया है जिसे भर पाना असंभव है.”
ॐ शांति.
अजित राय सर, आपका लेखन, आपकी सीख और आपका प्यार हमेशा हमारे साथ रहेगा. सिनेमा की दुनिया आपको सदैव याद करेगी.
(यह श्रद्धांजलि उनके प्रशंसकों, शिष्यों और सहयोगियों के भावनात्मक संदेशों से प्रेरित है.)
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