2030 तक भारत में प्राकृतिक गैस की खपत 103 अरब घन मीटर प्रति वर्ष तक पहुंचने का अनुमान: शीर्ष सरकारी अधिकारी

Shivam
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Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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भारत में कुल प्राकृतिक गैस की खपत 2030 तक 103 अरब घन मीटर (BCM) प्रति वर्ष तक पहुंचने का अनुमान है, जो वर्तमान स्तर से करीब 60% अधिक है. गुरुवार को एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी की ओर से यह जानकारी दी गई. राष्ट्रीय राजधानी में चिंतन रिसर्च फाउंडेशन (CRF) द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव प्रवीण मल खनूजा (Praveen Mal Khanuja) ने अपने संबोधन में कहा कि अधिक नीतिगत समर्थन जैसे सीजीडी की तेज शुरुआत, परिवहन में एलएनजी का उपयोग, गैस से चलने वाले बिजली संयंत्रों के अधिक उपयोग से 2030 तक मांग बढ़कर 120 अरब घन मीटर प्रति वर्ष हो सकती है.

भारत ने 2070 तक नेट-जीरो उत्सर्जन प्राप्त करने की जताई प्रतिबद्धता

उन्होंने आगे कहा, भारत ने 2070 तक नेट-जीरो उत्सर्जन प्राप्त करने की प्रतिबद्धता जताई है. इस परिवर्तन का एक महत्वपूर्ण घटक गैस का एक सेतु ईंधन के रूप में रणनीतिक उपयोग है, जो कोयले जैसे कार्बन उत्सर्जन करने वाले ईंधन से कम कार्बन वाले भविष्य की ओर चरणबद्ध बदलाव को सक्षम बनाता है. प्रवीण मल खनूजा ने संबोधन में आगे कहा, गैस को वैश्विक स्तर पर कम कार्बन वाले एक जीवाश्म ईंधन के रूप में मान्यता मिली है ,जो एनर्जी ट्रांजिशन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है. हालांकि, ग्रीन हाइड्रोजन, कंप्रेस्ड बायोगैस और कोल-बेड मीथेन जैसे विकल्प उभर रहे हैं, फिर भी भारत अपने एनर्जी मिक्स में गैस की हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए प्राथमिक साधन के रूप में पुनर्गैसीकृत एलएनजी पर काफी हद तक निर्भर है.

भारत के प्राथमिक एनर्जी मिक्स में गैस की हिस्सेदारी 6.8%

भारत के प्राथमिक एनर्जी मिक्स में गैस की हिस्सेदारी 6.8% है, जो 2030 के लिए निर्धारित 15% के लक्ष्य से काफी कम है. आईईए की इंडिया गैस मार्केट रिपोर्ट सहित हालिया विश्लेषणों से पता चलता है कि सामान्य परिस्थितियों में देश के एनर्जी मिक्स में गैस की हिस्सेदारी 2030 तक केवल 8-9% ही पहुंच पाएगी. गैस की खपत में वृद्धि करने और एनर्जी मिक्स में 10% हिस्सेदारी हासिल करने के लिए, भारत को कई बड़ी चुनौतियों का समाधान करना होगा. अदाणी टोटल गैस लिमिटेड (Adani Total Gas Limited) के कार्यकारी निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी सुरेश पी. मंगलानी (Suresh P. Manglani) ने कहा कि वे चीन की गतिविधियों पर कड़ी नजर रख रहे हैं.

भारत हाई-स्पीड डीजल से दूर जाने को लेकर गंभीर

सुरेश पी. मंगलानी ने कहा,अगर आप वहां जाएं, तो आप साफ तौर पर देख सकते हैं कि चीन खासकर ट्रकों और लंबी दूरी के माल की आवाजाही के परिवहन के लिए एलएनजी को काफी आक्रामकता से बढ़ावा दे रहा है. अगर भारत हाई-स्पीड डीजल (Bharat Hi-Speed Diesel) से दूर जाने को लेकर गंभीर है, तो हमें भी ऐसी ही रणनीतियों पर विचार करना होगा. अगर हम 70 से 200 मिलियन क्यूबिक मीटर एलएनजी की बढ़ती मांग मान लें और 30 से 35 लॉजिस्टिक्स केंद्रों में लगभग 300 एलएनजी स्टेशन वितरित करें, तब भी यह केवल पारंपरिक मांग वाले क्षेत्र को ही कवर करेगा.

हमारे पास देश भर में ऐसे कई अवसर मौजूद

उन्होंने आगे कहा, लेकिन हमें इससे आगे भी देखना होगा. हमें प्राकृतिक गैस के गैर-पारंपरिक उपयोगों पर केंद्रित उद्यमिता को सक्रिय रूप से प्रोत्साहित करना चाहिए, चाहे वह औद्योगिक समूहों में हो, दूरदराज के क्षेत्रों में हो या उभरते क्षेत्रों में. हमारे पास पहले से ही देश भर में ऐसे कई अवसर मौजूद हैं. मंगलानी के अनुसार, जीएसटी के कार्यान्वयन ने भारत को एक एकीकृत बाजार बनने में पहले ही मदद की है. अब हमें परिवहन को सुव्यवस्थित करने, लॉजिस्टिक्स दक्षता बढ़ाने और अधिक व्यवसाय-अनुकूल इकोसिस्टम बनाने के लिए उस गति को आगे बढ़ाना होगा, जिससे अंततः अर्थव्यवस्था और अंतिम उपभोक्ता दोनों को लाभ हो. इंडियन गैस एक्सचेंज (IGX) के प्रबंध निदेशक और सीईओ राजेश कुमार मेदिरत्ता ने कहा कि हमें अपना स्वयं का मजबूत और आत्मनिर्भर गैस बाजार बनाने का लक्ष्य रखना चाहिए.

देश 2070 तक नेट जीरो उत्सर्जन को लेकर प्रतिबद्ध

उन्होंने आगे कहा, भारत में जापान और दक्षिण कोरिया जैसे देशों के बराबर या उनसे भी आगे एशिया के सबसे बड़े मांग केंद्रों में से एक बनने की क्षमता है. इस पैमाने की मांग के साथ, हमें बिचौलियों या हाजिर बाजारों पर ज्यादा निर्भर रहने के बजाय, अपनी शर्तों पर, ज्यादा आत्मविश्वास से वैश्विक अनुबंधों पर बातचीत करने की स्थिति में होना चाहिए. सीआरएफ के अध्यक्ष शिशिर प्रियदर्शी (Shishir Priyadarshi) ने कहा कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य गैस को भारत के एनर्जी ट्रांजिशन में एक महत्वपूर्ण घटक के रूप में हाईलाइट करना था. देश 2070 तक नेट जीरो उत्सर्जन को लेकर प्रतिबद्ध है. ऐसे में गैस जीवाश्म ईंधन से गैर-जीवाश्म ईंधन की तरफ शिफ्ट में गैस एक पुल की भूमिका निभा सकता है.
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