भारत और यूनाइटेड किंगडम (UK) के बीच हुए फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (Free Trade Agreement) को लेकर देशभर के एमएसएमई कारोबारियों में खासा उत्साह देखा जा रहा है. व्यापार जगत का मानना है कि इस समझौते से भारत के निर्यात क्षेत्र को नई रफ्तार मिलेगी और अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी. तमिलनाडु के करूर स्थित होमलाइनंस टेक्सटाइल की संचालिका एंजेला स्टीफन बाबू (Angela Stephen Babu) ने समाचार एजेंसी आईएएनएस से बातचीत के दौरान बताया कि इस समझौते का सीधा लाभ छोटे और मध्यम स्तर के निर्यातकों को मिलेगा.
रोजगार में होगा इजाफा
उन्होंने कहा, “भारत-यूके एफटीए हमारे लिए बेहद फायदेमंद है. इससे हमारे टेक्सटाइल उत्पादों पर पहले जो 9.2 से 20% तक का टैरिफ लगता था, वह अब पूरी तरह खत्म हो गया है.” एंजेला के अनुसार, यह समझौता भारतीय उत्पादों को ब्रिटिश बाजार में और अधिक प्रतिस्पर्धी बनाएगा, जिससे नए कारोबारी अवसर पैदा होंगे और रोजगार में भी इजाफा होगा. भारत वर्तमान में ब्रिटेन को प्रति वर्ष लगभग 1.4 अरब अमेरिकी डॉलर मूल्य के टेक्सटाइल और रेडी-मेड गारमेंट्स का निर्यात करता है. मुक्त व्यापार समझौते के साथ, अगले 5-6 वर्षों में यह मात्रा दोगुनी होने की उम्मीद है.
भारत-ब्रिटेन एफटीए से टेक्सटाइल और रेशम उद्योग को मिलेगा बढ़ावा
उन्होंने आगे कहा, एफटीए होने के बाद यूके के आयातकों से हमारा संचार बेहतर होगा और वहां निर्यात आने वाले समय में दोगुना हो सकता है. मौजूदा समय में करूर से 1,000 करोड़ रुपए से 1,500 करोड़ रुपए का निर्यात होता है. तमिलनाडु में मौजूद करूर देश का एक बड़ा टेक्सटाइल केंद्र है. ब्रिटिश बाजार में शुल्क-मुक्त पहुंच मिलने से निर्यात, निवेश और रोजगार में बड़ी वृद्धि होगी. तमिलनाडु के कांचीपुरम में सिल्क साड़ी उत्पादक मोहन ने कहा, भारत-ब्रिटिश समझौते से रेशम उत्पादन को बढ़ावा मिलने और बुनकरों के लिए अवसर पैदा होने की उम्मीद है. यह समझौता उत्पादन और निर्यात बढ़ाने में मदद कर सकता है, जिससे स्थानीय बुनकरों को लाभ होगा.
सोने-चांदी की बढ़ती कीमतों से कांचीपुरम रेशम उद्योग पर असर
कांचीपुरम अपनी रेशमी साड़ियों के लिए प्रसिद्ध है. यह 6,000 से ज्यादा हथकरघा बुनकरों का घर है. ये बुनकर अपनी साड़ियां निजी कंपनियों और सहकारी संस्थाओं को बेचते हैं. सोने और चांदी की कीमतों में हालिया उछाल के कारण कांचीपुरम रेशमी साड़ियों की कीमतों में 30% की वृद्धि हुई है. इस वृद्धि के कारण बिक्री में कमी आई है, जिससे बुनकरों की आय प्रभावित हुई है. मोहन ने आगे कहा कि कांचीपुरम रेशम उद्योग को इन चुनौतियों से निपटने और भारत-ब्रिटेन समझौते जैसे अवसरों का लाभ उठाने के लिए समर्थन की आवश्यकता है.