यमन के दक्षिणी प्रांत अबयान के तट पर एक भीषण नाव हादसे में कम से कम 20 से अधिक अफ्रीकी प्रवासियों की मौत हो गई है, जबकि दर्जनों लोग अब भी लापता हैं. यह घटना शनिवार देर रात उस समय हुई जब प्रवासियों से भरी एक नाव समुद्र में पलट गई. स्थानीय अधिकारियों ने रविवार को इस हादसे की पुष्टि करते हुए बताया कि नाव में करीब 150 अफ्रीकी प्रवासी सवार थे.
एक स्थानीय अधिकारी ने समाचार एजेंसी सिन्हुआ को बताया कि हादसा शनिवार रात लगभग 11 बजे हुआ, जब तेज हवाओं और समुद्री लहरों के कारण नाव अपना संतुलन खो बैठी और डूब गई. रेस्क्यू अभियान तेज़ी से जारी है और राहत टीमें लापता लोगों की तलाश में समुद्र में जुटी हुई हैं.
20 से अधिक शव बरामद
सिन्हुआ समाचार एजेंसी को दिए गए बयान में एक स्थानीय अधिकारी ने जानकारी दी कि रविवार सुबह राहत एवं बचाव दलों ने शकरा और जिंजीबार शहरों के तटों से अब तक 20 से अधिक प्रवासियों के शव बरामद कर लिए है. उन्होंने आगे बताया कि 12 लोगों को जीवित अवस्था में बचा लिया गया, जिन्हें तुरंत उपचार के लिए शकरा जनरल अस्पताल में भर्ती कराया गया है. हालांकि, कई अन्य लोग अब भी लापता हैं और उन्हें ढूंढने के लिए खोजबीन जारी है.
चलाया जा रहा मानवीय अभियान
अबयान में सुरक्षा अधिकारियों ने कहा कि वे डूबे हुए प्रवासियों के शवों को निकालने के लिए बड़े पैमाने पर मानवीय अभियान जारी रखे हुए हैं. अबयान सुरक्षा निदेशालय के एक बयान में कहा गया है कि अबयान के सुरक्षा अधिकारी डूबे हुए प्रवासियों के शवों को निकालने के लिए बड़े पैमाने पर बचाव अभियान चला रहे हैं.
बयान के अनुसार, सीमित संसाधनों के बावजूद, अधिकारियों ने गहन बचाव और मानवीय प्रयासों के तहत शवों को जिंजीबार के अस्पतालों में पहुंचाना शुरू कर दिया है. कई शव तट के अलग-अलग हिस्सों में मिले, जिससे यह चिंता बढ़ गई है कि समुद्र में और भी लोग लापता हो सकते हैं.
सुरक्षा अधिकारियों ने अंतरराष्ट्रीय संगठनों से की मदद की अपील
अबयान के सुरक्षा अधिकारियों ने सभी स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय संगठनों से तुरंत मदद करने और यमन के समुद्री क्षेत्र से होने वाले अवैध प्रवासन को रोकने के लिए कदम उठाने की अपील की है. उल्लेखनीय है कि अफ्रीकी प्रवासियों का यमन में आना लगातार जारी है. यमन पहले से ही दस साल से चल रहे संघर्ष और संयुक्त राष्ट्र द्वारा बताए गए दुनिया के सबसे खराब मानवीय संकटों में से एक से जूझ रहा है. ऐसे में यहां पहुंचने के बाद इन प्रवासियों को बेहद मुश्किल हालात का सामना करना पड़ता है. संयुक्त राष्ट्र ने इसे दुनिया के सबसे बुरे मानवीय संकटों में से एक बताया है.