America-Chaina Relation: अमेरिका, रूस और ईरान से कच्चा तेल खरीदने वाले देशों पर सख्ती दिखा रहा है, लेकिन चीन ने अमेरिका के इस मांग को मानने से साफ साफ इंकार कर दिया है. हालांकि दोनों देशों के बीच अभी भी बातचीत का दौर जारी है ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है कि उनके बीच जल्द ही व्यापार समझौता हो सकता है, लेकिन रूस और ईरान से तेल न खरीदने की बात पर चीन ने सख्त रुख अपनाया है.
दरअसल, चीन के विदेश मंत्रालय ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर साझा एक पोस्ट में लिखा कि ‘चीन हमेशा देशहित को ध्यान में रखते हुए अपनी ऊर्जा जरूरतों की आपूर्ति सुनिश्चित करेगा.’ साथ ही ये भी कहा कि चीन देशहित को ध्यान में रखते हुए अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करेगा.
चीन का अमेरिका पर पलटवार
बता दें किे हाल ही में अमेरिका ने रूस और ईरान से तेल खरीदने पर चीन पर 100 प्रतिशत टैरिफ लगाने की धमकी दी है. जिस पर चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा कि ‘दबाव बनाने और जबरदस्ती से कुछ हासिल नहीं होगा. चीन अपनी संप्रभुता, सुरक्षा और विकास हितों की दृढ़ता से रक्षा करेगा.’
चीन के बयान पर अमेरिकी मंत्री ने कंसा तंज
चीन की यह प्रतिक्रिया ऐसे समय सामने आई है, जब दोनों देशों के अधिकारी स्टॉकहोम में व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने में जुटे हैं. वहीं, चीन के इस सख्त रूख पर अमेरिका के वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने तंज कसते हुए कहा कि जब रूस से तेल खरीदने की बात आती है, तब चीन अपनी संप्रभुता को बहुत गंभीरता से लेता है.
अमेरिका ने भारत पर लगाई 25 प्रतिशत की पेनाल्टी
दरअसल, अमेरिका का कहना है कि रूस से जो देश तेल खरीद रहे हैं, उससे रूस की सेना की मदद हो रही है और यूक्रेन में युद्ध जारी है. वहीं ईरान भी तेल बिक्री के पैसों से पश्चिम एशिया में आतंकी संगठनों को फंडिंग दे रहा है. ऐसे में अमेरिका में रूस और ईरान के वित्तपोषण पर रोक लगाना चाहते हैं. इसके लिए अमेरिका ने भारत पर भी 25 प्रतिशत टैरिफ और पेनल्टी लगाने की घोषणा की है.
चीन रूस का भी एक महत्वपूर्ण ग्राहक है, लेकिन रूस से समुद्री कच्चे तेल के निर्यात में भारत के बाद दूसरे स्थान पर है. कीव स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के केएसई इंस्टीट्यूट के अनुसार, अप्रैल में चीन द्वारा रूसी तेल का आयात पिछले महीने की तुलना में 20 प्रतिशत बढ़कर 13 लाख बैरल प्रतिदिन से अधिक हो गया.
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