कोर्ट का बड़ा बयान: लड़के भी लड़कियों की तरह यौन उत्पीड़न के प्रति संवेदनशील, नाबालिग से रेप के दोषी को 15 साल कैद

Shivam
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Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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Male Sexual Exploitation: दिल्ली की एक अदालत ने 2019 में नाबालिग लड़के से बलात्कार के मामले में एक व्यक्ति को 15 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई. अदालत ने टिप्पणी की कि यह धारणा गलत है कि केवल लड़कियां ही यौन उत्पीड़न का शिकार होती हैं, क्योंकि लड़के भी इस जघन्य अपराध के प्रति उतने ही संवेदनशील होते हैं.
एएसजे अग्रवाल 23 जुलाई को उस व्यक्ति के खिलाफ सजा पर बहस सुन रहे थे, जिसे पॉक्सो अधिनियम की धारा 6 (गंभीर यौन उत्पीड़न) और भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 377 (अप्राकृतिक अपराध) के तहत दोषी करार दिया गया था.
साकेत कोर्ट की अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (एएसजे) अनु अग्रवाल ने 31 जुलाई के अपने आदेश में कहा कि आमतौर पर केवल लड़कियों को सेक्शुअल असॉल्ट हो सकता है, जबकि लड़के भी इसका शिकार होते हैं.
कोर्ट ने आदेश में कहा, लड़के भी लड़कियों की तरह ही यौन शोषण और शोषण के प्रति संवेदनशील होते हैं और वे भी प्रवेशात्मक यौन हमले जैसे जघन्य अपराध के प्रति समान रूप से संवेदनशील होते हैं. आमतौर पर यह माना जाता है कि केवल लड़कियों पर ही प्रवेशात्मक यौन हमला हो सकता है. हालांकि, यह एक मिथक है और पॉक्सो (यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण) एक्ट सभी बच्चों को उनके लिंग की परवाह किए बिना कवर करने के लिए बनाया गया है, क्योंकि बच्चों पर यौन उत्पीड़न का खतरा होता है.
दोषी व्यक्ति अपराध के समय चौथी कक्षा में था. कोर्ट ने उसे पीड़ित को 2 लाख रुपये का देने का भी निर्देश दिया. इसके अलावा, राज्य को भी पीड़ित को 10.5 लाख रुपये का मुआवज़ा देने का निर्देश दिया.

यौन शोषण का शिकार हुए लड़के पीटीएसडी से गुजरते हैं

फैसला सुनाते हुए अदालत ने कहा, “पॉक्सो एक्ट, अभियुक्त और पीड़ित, दोनों की हैसियत से लैंगिक रूप से तटस्थ अधिनियम है. इसे बच्चों को यौन उत्पीड़न और अश्लील साहित्य के अपराधों से सुरक्षा प्रदान करने के लिए बनाया गया था. यह अधिनियम 18 वर्ष से कम आयु के सभी बच्चों को, चाहे उनका लिंग कुछ भी हो, यौन शोषण से बचाने के लिए बनाया गया है.” अदालत ने कहा, “यौन शोषण का शिकार हुए लड़के को जो मानसिक चोट पहुंचती है वह अन्य यौन शोषण पीड़ितों जैसा ही है. वे डर, अतीत की यादें और पीटीएसडी से गुज़रते हैं.”
राज्य का प्रतिनिधित्व करने वाले अतिरिक्त लोक अभियोजक (एपीपी) अरुण के.वी. ने केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की एक रिपोर्ट का हवाला दिया, जिसमें उल्लेख किया गया था कि लगभग 54.68% बाल यौन उत्पीड़न के शिकार लड़के हैं. एपीपी ने यह भी बताया कि लड़के भी लड़कियों की तुलना में यौन शोषण के प्रति समान रूप से संवेदनशील हैं.
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