संसद में हाल ही में पारित नए कर विधेयक ने देश के कर प्रशासन में अहम बदलाव की दिशा में कदम बढ़ाया है. इस विधेयक के तहत अब वित्त वर्ष और आकलन वर्ष की जगह एक ही अवधारणा, यानी ‘टैक्स ईयर’, लागू की जाएगी, जिससे करदाताओं और प्रशासन दोनों के लिए प्रक्रिया सरल और स्पष्ट हो जाएगी. इसके अलावा, वर्चुअल डिजिटल एसेट्स की परिभाषा का दायरा भी बढ़ाया गया है. अब इसमें क्रिप्टो-एसेट्स, नॉन-फंजिबल टोकन (NFT) और सरकार द्वारा अधिसूचित अन्य डिजिटल एसेट्स शामिल होंगे. प्रवर्तन को और प्रभावी बनाने के लिए नए प्रावधान के तहत किसी भी सर्च ऑपरेशन के दौरान करदाताओं को अपने सोशल मीडिया अकाउंट, ईमेल सर्वर और क्लाउड स्टोरेज जैसे वर्चुअल प्लेटफ़ॉर्म्स तक जांच एजेंसियों को पहुंच प्रदान करनी होगी.
करदाताओं की प्राइवेसी की रक्षा सुनिश्चित
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने राज्यसभा में चर्चा का जवाब देते हुए कहा, केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड डिजिटल डेटा को संभालने के लिए स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर जारी करेगा, ताकि करदाताओं की रक्षा हो सके. उन्होंने बताया कि नए कानून को लागू करने के लिए 1 अप्रैल 2026 तक पूरे सिस्टम को ‘रीबूट’ करना होगा. उन्होंने कहा, “ये बदलाव सतही नहीं हैं. यह कर प्रशासन में एक नई और सरल सोच को दर्शाते हैं. नया कानून छोटा, केंद्रित और पढ़ने-समझने में आसान है, जिससे इसे लागू करना भी सहज होगा.”
वित्त मंत्री ने विपक्ष की आलोचना करते हुए कहा कि इतना महत्वपूर्ण विधेयक होने के बावजूद विपक्ष ने चर्चा में भाग नहीं लिया, जबकि बिज़नेस एडवाइजरी कमेटी में दोनों सदनों में 16 घंटे की बहस पर सहमति बनी थी. उन्होंने कहा, “मुझे हैरानी है कि विपक्ष इसमें भाग नहीं लेना चाहता.”
राज्यसभा में विपक्ष का वॉकआउट
मालूम हो कि यह विधेयक पहले ही लोकसभा से पारित हो चुका था. मंगलवार को राज्यसभा में भी विपक्षी दलों ने बहस के दौरान वॉकआउट किया, जैसा कि एक दिन पहले लोकसभा में किया गया था. सरकार का कहना है कि यह नया कर ढांचा न केवल अनुपालन को आसान बनाएगा, बल्कि देश की कर प्रणाली को तेज़ी से बदलती डिजिटल अर्थव्यवस्था के अनुरूप भी ढालेगा.