भारत की GDP वृद्धि दर वित्त वर्ष 2026 में 7.4% रहने का अनुमान है. इस वृद्धि का मुख्य कारण बिजली की मांग में बढ़ोतरी और खनन एवं निर्माण गतिविधियों में तेजी है. ICRA की रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2026 की दूसरी छमाही में विकास दर 7% से कम रह सकती है, जिसका कारण प्रतिकूल आधार प्रभाव और निर्यात में कमी है. वहीं, पहली छमाही में GDP वृद्धि 8% से अधिक रही थी.
RBI की पॉलिसी रिव्यू और FY26 की आर्थिक गतिविधियां
रिपोर्ट में उम्मीद जताई गई है कि RBI फरवरी 2026 की पॉलिसी रिव्यू में ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं करेगा और भविष्य के फैसले FY27 के यूनियन बजट और बदलती महंगाई और वृद्धि दर की गतिशीलता के आधार पर लिए जाएंगे. हालांकि, FY26 की तीसरी तिमाही में आर्थिक गतिविधियां मजबूत रही हैं. इन्हें त्योहारी सीजन के दौरान ब्याज दरों में कटौती और कुछ सेक्टर्स में सीजनल तेजी का फायदा मिला है.
FY26 की तीसरी तिमाही में त्योहारी मांग और महंगाई का असर
रिपोर्ट के अनुसार, FY26 की तीसरी तिमाही में त्योहारी मांग और जीएसटी में कटौती के कारण वस्तुओं और सेवाओं की खपत बढ़ेगी, जिससे मैन्युफैक्चरिंग वॉल्यूम पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा. हालांकि, FY26 की दूसरी छमाही में निर्यात में गिरावट देखने को मिल सकती है, जब तक भारत और अमेरिका के बीच ट्रेड डील नहीं होती. खुदरा महंगाई दर FY26 में लगभग 2% रहने का अनुमान है, जो FY25 में 4.6% थी.
FY26 में खुदरा महंगाई और सीमेंट उत्पादन का रुझान
नवंबर 2025 में खुदरा महंगाई दर 0.7% तक बढ़ गई, जबकि अक्टूबर में यह 0.3% थी. इसका मुख्य कारण फूड और बेवरेज में अपस्फीति का कम होना है. इसके साथ ही, बारिश से होने वाली रुकावटों के बाद आने वाले महीनों में खनन और निर्माण गतिविधियों तथा बिजली की मांग में मौसमी तेजी देखने को मिलेगी. रिपोर्ट में कहा गया है, FY26 में सीमेंट उत्पादन में 6.5–7.5% की बढ़ोतरी होने की उम्मीद है.
पिछले कुछ वर्षों में मजबूत वृद्धि के बावजूद स्टील की मांग में बढ़ोतरी अब धीमी होकर 7–8% तक रह सकती है. वहीं, वित्त वर्ष 26 के लिए बिजली की मांग में वृद्धि भी सीमित रहेगी और यह केवल 1.5–2% तक ही रहने का अनुमान है.

