भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन क्षेत्र ने पिछले एक दशक में ऐतिहासिक छलांग लगाई है. केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल (Piyush Goyal) ने कहा कि मेक इन इंडिया पहल के तहत 2014-15 में जहां इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन 31 अरब डॉलर था, वहीं अब यह बढ़कर 133 अरब डॉलर तक पहुंच गया है.
गोयल ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर पोस्ट कर बताया कि 2025-26 की पहली तिमाही में इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि की तुलना में 47% से अधिक बढ़ा है.
भारत बना मोबाइल निर्माता
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि बीते दशक में भारत ने मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में जबरदस्त प्रगति की है. 2014 में जहां देश में सिर्फ दो मोबाइल निर्माण इकाइयाँ थीं, वहीं आज उनकी संख्या 300 से अधिक हो चुकी है. भारत अब मोबाइल आयातक से दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल फोन निर्माता बन चुका है.
रोजगार और नए अवसर
इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर ने निर्यात के साथ-साथ लाखों लोगों को रोज़गार भी दिया है.
मुख्य उत्पादन क्षेत्रों में शामिल हैं:
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सौर मॉड्यूल
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नेटवर्किंग इक्विपमेंट
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चार्जर और अडेप्टर
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इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट्स
निर्यात आँकड़े
इंडिया सेलुलर एंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन (ICEA) के अनुसार:
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FY26 की पहली तिमाही में निर्यात 12.4 अरब डॉलर तक पहुंचा.
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पिछले साल इसी अवधि में यह आंकड़ा 8.43 अरब डॉलर था.
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वित्त वर्ष के अंत तक निर्यात 46-50 अरब डॉलर तक जाने की उम्मीद है.
वृद्धि दर
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मोबाइल फोन निर्यात: 4.9 अरब डॉलर → 7.6 अरब डॉलर (55% वृद्धि)
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गैर-मोबाइल निर्यात: 3.53 अरब डॉलर → 4.8 अरब डॉलर (36% वृद्धि)
नीतियों का योगदान
विशेषज्ञ मानते हैं कि यह सफलता केवल मांग की वजह से नहीं आई.
सरकार ने इन योजनाओं से बड़ा योगदान दिया है:
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Phased Manufacturing Programme (PMP)
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Production Linked Incentive (PLI)
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राज्य-उद्योग साझेदारी
आत्मनिर्भर भारत की ओर
पीयूष गोयल ने कहा कि यह सिर्फ आर्थिक उपलब्धि नहीं है. यह भारत की आत्मनिर्भरता और वैश्विक मैन्युफैक्चरिंग हब बनने की दिशा में एक बड़ा कदम है.
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