शुरू होने वाली है डॉलर की उल्‍टी गिनती? रूस-चीन ने स्‍थानिय मुद्राओं में शुरू किया व्‍यापार, जानिए क्‍या है BRICS देशों का प्‍लान

Aarti Kushwaha
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Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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America Trade Deal: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा अपनाई गई टैरिफ नीति ने ब्रिक्स समूह के भीतर एक नया समीकरण बना दिया है. ऐसे में विशेषज्ञों का मानना है कि इस स्थिति में न सिर्फ एक आर्थिक मंच बन कर उभर रहा है, बल्कि यह अमेरिका की वर्चस्ववादी नीतियों के खिलाफ एक संगठित वैश्विक प्रतिरोध के रूप में खड़ा हो रहा है.

बता दें कि BRICS देशों में ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका शामिल है. ट्रंप की टैरिफ योजना ने अमेरिका के पुराने साझेदारों को भी सोचने पर मजबूर कर दिया है. इस दौरान जहां पहले भारत और अमेरिका के बीच रिश्‍तों को लेकर काफी उम्मीदें थीं, वहीं अब भारत जैसे देशों को आर्थिक और रणनीतिक स्वतंत्रता की दिशा में नए कदम उठाने की आवश्यकता महसूस हो रही है और यही वह बिंदु है जहां BRICS की भूमिका निर्णायक बनती जा रही है.

टैरिफ के खिलाफ मजबूत हो रही BRICS की एकजुटता

ट्रंप प्रशासन द्वारा ब्रिक्‍स देशों पर भारी शुल्क लगाने की घोषणा ने भारत चीन जैसे देशों के बीच रणनीतिक एकजुटता को मजबूती दी है. दरअसल, अमेरिकी राष्‍ट्रपति का कहना है कि यह कदम अमेरिका के व्यापार घाटे को कम करने और डॉलर की वैश्विक स्थिति को मजबूत बनाए रखने के लिए जरूरी है. जबकि आलोचकों का कहना है कि ट्रंप की यह नीति अमेरिका को उसके साझेदारों से दूर कर देगी, और खुद अमेरिका की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाएगी.

भारत की बदलती सोच, रूस और चीन के करीब?

ट्रंप की टैरिफ नीति के बाद भारत का झुकाव BRICS के भीतर ज्यादा सक्रियता की ओर बढ़ रहा है. हाल ही में पीएम मोदी ने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और ब्राजील के राष्ट्रपति लुला दा सिल्वा से फोन पर बातचीत की. वहीं, एनएसए अजीत डोभाल ने रूस जाकर राष्ट्रपति पुतिन से मुलाकात की. इसके अलावा, जल्‍द ही भारतीय प्रधानमंत्री शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की बैठक में हिस्‍सा लेने के लिए चीन का दौरान करने वाले हैं.

भारत की गैर-पक्षीय रणनीति का नया रूप

इन सभी घटनाओं से यह स्‍पष्‍ट संकेत मिलता है कि भारत अपने पारंपरिक अमेरिकी संबंधों के साथ-साथ ब्रिक्स के नए शक्ति-संतुलन का भी हिस्सा बनना चाहता है. यह भारत की गैर-पक्षीय रणनीति का नया रूप हो सकता है, जिसमें वह पश्चिम और पूर्व दोनों धड़ों के साथ अपने हितों को संतुलित करने की कोशिश कर रहा है.

डॉलर की बादशाहत को चुनौती: ब्रिक्स का एजेंडा

दरअसल, ब्रिक्‍स देश लंबे समय से अमेरिकी डॉलर पर अत्यधिक निर्भरता को चुनौती देने की योजना बना रहे है. यहां तक की चीन और रूस ने तो पहले ही आपसी व्यापार में स्थानीय मुद्राओं का उपयोग शुरू कर दिया है, वहीं, अब भारत भी इस दिशा में आगे बढ़ रहा है.

ब्रिक्स की क्‍या है योजना?

  • एक साझा भुगतान व्यवस्था (ब्रिक्स पे) तैयार करना
  • व्यापार में स्थानीय मुद्राओं का प्रयोग बढ़ाना
  • ऊर्जा और संसाधनों के लिए डॉलर के बाहर लेनदेन की रणनीति बनाना

अगर ब्रिक्‍स देशों की यह प्रक्रिया सफल होती है तो डॉलर की वैश्विक पकड़ को बड़ा झटका लग सकता है और ट्रंप को भी इस बात का डर सता रहा है. क्‍योंकि उन्‍होंने हाल में इस मामले को लेकर सार्वजनिक रूप से कहा कि “ब्रिक्स डॉलर को कमजोर करने की साजिश रच रहा है, और भारत उसका हिस्सा है.”

अमेरिका के अंदर से उठ रही आवाजें

अन्‍य देशों के अलावा ट्रंप की टैरिफ नीति को खुद अमेरिका में भी कड़ी आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है. दरअसल, प्रसिद्ध अर्थशास्त्री जेफरी सैक्स ने चेतावनी दी है कि ट्रंप प्रशासन की यह नीति अमेरिका को वैश्विक अर्थव्यवस्था से अलग-थलग कर सकती है.

इसके अलावा, पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन ने भारत पर टैरिफ लगाने को लेकर कहा कि यह अमेरिका की 25 वर्षों की भारत नीति को खतरे में डाल देगा.  जबकि सीएनएन के वरिष्ठ पत्रकार फरीद ज़कारिया का कहना है कि भारत के साथ ट्रंप ने जो किया है, उसके बाद भारत दोबारा अमेरिका पर वैसे भरोसा नहीं करेगा.

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