2030 तक 1.93 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच जाएगा भारतीय खुदरा क्षेत्र: रिपोर्ट

Shivam
Shivam
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
Must Read
Shivam
Shivam
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
डेलॉइट और फिक्की की एक ताजा रिपोर्ट के अनुसार, भारत का खुदरा क्षेत्र वर्ष 2030 तक दोगुना बढ़कर लगभग 1.93 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच सकता है. यह वृद्धि 10% की वार्षिक चक्रवृद्धि दर (CAGR) से होने की संभावना है. इस ग्रोथ का प्रमुख कारण देश के विशाल घरेलू बाज़ार की मजबूत पकड़ को माना जा रहा है, जो वैश्विक आर्थिक अस्थिरता के समय में एक सुरक्षात्मक दीवार की तरह काम करता है. रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि भारत का रिटेल और कंज्यूमर सेगमेंट इन दिनों बदलाव के दौर से गुजर रहा है, जिसमें डिजिटल तकनीक को तेजी से अपनाना, प्रीमियम उत्पादों की मांग में वृद्धि, और शहरी एवं टियर-2/3 शहरों में ई-कॉमर्स का विस्तार शामिल है.
‘स्पॉटिंग इंडियाज प्राइम इनोवेशन मोमेंट’ शीर्षक वाली रिपोर्ट के अनुसार, भारत के खुदरा क्षेत्र का मूल्य 2024 में 1.06 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर था, और बढ़ती क्रय शक्ति, जिसमें जेन जेड की 250 बिलियन अमेरिकी डॉलर की प्रत्यक्ष खर्च क्षमता शामिल है, न केवल घरेलू मांग को बनाए रख रही है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ब्रांड के आत्मविश्वास को भी बढ़ा रही है. डेलॉइट ने एक बयान में कहा कि मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) और टैरिफ पुनर्संरेखण भारत की निर्यात प्रतिस्पर्धात्मकता को और बढ़ा रहे हैं, जिससे ‘मेड इन इंडिया’ उत्पादों को कम बाधाओं और लागत लाभ के साथ नए बाजारों तक पहुंचने में मदद मिल रही है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के एफएमसीजी और खुदरा क्षेत्र एक परिवर्तनकारी दशक में प्रवेश कर रहे हैं, जो डिजिटल-प्रथम, प्रीमियम-परंतु-समावेशी उपभोग लहर, त्वरित वाणिज्य के तेजी से विस्तार और प्रत्यक्ष-से-उपभोक्ता (डीसी) ब्रांडों की विस्फोटक वृद्धि से प्रेरित है. डेलॉयट साउथ एशिया के पार्टनर और कंज्यूमर इंडस्ट्री लीडर आनंद रामनाथन ने कहा, “भारत का उपभोक्ता पारिस्थितिकी तंत्र एक निर्णायक दशक में प्रवेश कर रहा है, जिसे युवा, डिजिटल रूप से धाराप्रवाह आबादी, विस्तारित मध्यम वर्ग और टियर | और III शहरों के बढ़ते आर्थिक प्रभाव से बल मिल रहा है, जो अब ई-कॉमर्स लेनदेन के 60 प्रतिशत से अधिक के लिए जिम्मेदार हैं.”
उन्होंने कहा कि टैरिफ पुनर्संरेखण और विस्तारित एफटीए के वर्तमान परिवेश में, भारत का गहरा घरेलू उपभोग आधार न केवल घरेलू स्तर पर विकास को बनाए रखता है, बल्कि वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए एक मजबूत आधार भी तैयार करा है, जिससे भारतीय उत्पादों को विदेशों में नए बाजार हिस्से पर कब्जा करने की स्थिति मिलती है. रामनाथन ने कहा कि विकास की अगली लहर वितरण विस्तार से कम तथा एफएमसीजी (तेजी से बढ़ते उपभोक्ता सामान), खुदरा और ई-कॉमर्स कंपनियों की बदलती उपभोक्ता व्यवहार, क्षेत्रीय बारीकियों और उद्देश्य-आधारित नवाचार की मांग का पूर्वानुमान लगाने और उसके अनुसार प्रतिक्रिया देने की क्षमता से अधिक प्रेरित होगी.
उन्होंने कहा, “निर्णायक कार्रवाई और रणनीतिक दूरदर्शिता के साथ, भारत 2030 तक अपने खुदरा बाजार को दोगुना करके लगभग 1.9 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंचा सकता है, साथ ही उपभोक्ता क्षेत्र में लचीलेपन, नवाचार और स्थिरता के लिए वैश्विक मानक स्थापित कर सकता है.” रिपोर्ट के अनुसार, ऑनलाइन मार्केटप्लेस अब 73% खरीद निर्णयों को प्रभावित करते हैं, यूट्यूब समीक्षाएं (40%) और सहकर्मी सिफारिशें (51%) पारंपरिक प्रभावशाली विपणन के विश्वसनीय विकल्प के रूप में उभर रही हैं. भारत का डी सी बाजार 2024 में 80 बिलियन अमरीकी डॉलर को पार कर गया और 2025 में 100 बिलियन अमरीकी डॉलर से अधिक होने की राह पर है, जो ब्रांडों के पैमाने और उपभोक्ताओं के साथ जुड़ने के तरीके को फिर से परिभाषित करता है.
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि ‘मेड इन इंडिया’ ने उपभोक्ताओं का विश्वास अर्जित किया है, तथा स्थानीय स्तर पर निर्मित उत्पादों के प्रति प्राथमिकता बढ़ी है, क्योंकि 68 प्रतिशत उपभोक्ताओं ने खाद्य एवं पेय पदार्थों में भारतीय ब्रांडों को प्राथमिकता दी है, जबकि 55 प्रतिशत ने घरेलू सजावट में तथा 53 प्रतिशत ने व्यक्तिगत देखभाल में भारतीय ब्रांडों को प्राथमिकता दी है. रिपोर्ट में कहा गया है कि त्वरित वाणिज्य ने बाजार पहुंच को बदल दिया है, क्योंकि भारत दुनिया का पहला त्वरित वाणिज्य बाजार है, जो 80 से अधिक शहरों में संचालित हो रहा है और 70-80% चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) से बढ़ रहा है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि द्वितीय और तृतीय श्रेणी के शहर ओमनी-चैनल विकास को बढ़ावा दे रहे हैं, जहां 60% से अधिक ई-कॉमर्स लेनदेन अब द्वितीय और तृतीय श्रेणी के शहरों से हो रहे हैं, जिससे यह संकेत मिलता है कि खुदरा क्षेत्र महानगरों से आगे बढ़ रहा है. मॉल और हाई-स्ट्रीट स्पेस अनुभवात्मक केंद्रों के रूप में विकसित हो रहे हैं, जबकि बेंगलुरु और हैदराबाद जैसे शहरों में 2024 तक कुल खुदरा स्थान अवशोषण का 60 प्रतिशत हिस्सा होगा।.
Latest News

वाराणसी के किसानों को अप्रैल से अब तक यूरिया और DAP पर मिली 68 करोड़ 59 लाख से अधिक की सब्सिडी

केवल उर्वरकों की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित कर रही है, बल्कि किसानों को भारी मात्रा में सब्सिडी भी प्रदान कर...

More Articles Like This